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उच्चतम न्यायालय के फैसले पर दरअसल रोक लगी है : ए के बालन

पांच सदस्यीय पीठ ने सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश और अन्य धर्म से जुड़े मामलों को वृहद पीठ को भेज दिया है।

केरल के विधि मंत्री ए के बालन ने रविवार को कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश पर दरअसल रोक लगी हुई है और राज्य सरकार केवल अदालत के निर्णय के आधार पर ही कदम उठा सकती है। 
कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने शनिवार को भगवान अयप्पा मंदिर के कपाट खुलने पर पूजा-अर्चना की। हालांकि, पुलिस ने बताया कि 10 महिलाओं को पम्बा से वापस भेज दिया गया। 
बालन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस मामले में संवैधानिक सरकार अदालत के आदेश के मुताबिक ही काम कर सकती है। अब हमारे सामने एक नयी समस्या है। सवाल है कि 14 नवंबर के फैसले में पूर्व के आदेश पर रोक लगायी गयी या नहीं। विधि सम्मत दावे के मुताबिक रोक नहीं है लेकिन वास्तव में वहां रोक लगी है। असल में 2018 के आदेश पर रोक लगी है भले ही आधिकारिक तौर पर इसका उल्लेख नहीं किया गया है।’’ 
हालांकि, शीर्ष अदालत ने भगवान अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के सितंबर 2018 के अपने आदेश पर रोक नहीं लगायी थी। केरल में एलडीएफ सरकार ने इस बार कहा है कि मंदिर ‘अभियान चलाए जाने या प्रदर्शन करने’ का स्थान नहीं है और साफ कर दिया कि वह महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी जो कि प्रचार के लिए मंदिर जाना चाहती हैं। 
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश और अन्य धर्म से जुड़े मामलों को वृहद पीठ को भेज दिया है। 
पिछले साल 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चा सरकार द्वारा इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे। 
गौरतलब है कि केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में दर्शन के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दो महीने तक चलने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा ‘मंडल-मकरविलक्कू’ का आज दूसरा दिन है। सबरीमला मंदिर पेरियार बाघ संरक्षण क्षेत्र में है और इसके कपाट श्रद्धालुओं के लिए केवल मंडलपूजा, मकरविलक्कू और विशू उत्सव के लिए खोले जाते हैं। 
इस तीर्थयात्रा सत्र के दौरान मंदिर 27 दिसंबर तक मंडलपूजा के लिए खुला रहेगा और फिर तीन दिन के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर के कपाट दोबारा 30 दिसंबर को मकरविलक्कू के लिए खुलेंगे और मंदिर के कपाट 20 जनवरी को बंद कर दिए जाएंगे। 

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