देश में नेताओं के अजीबो-गरीब बयानबाजी का सिलसिला जारी है। हर रोज कोई न कोई नेता कुछ ऐसा बोल देते है जिससे एक नया विवाद खड़ा हो जाता है।इसी बीच काफी समय से सुर्खियों में बने समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक और बयान जारी किया है।बता दें इससे पहले भी उन्होंने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। जिसके बाद संतो, महंतों और धर्माचार्यों के बयानों पर पलटवार किया। बता दें कि वहीं बीजेपी ने अब सपा नेता के इस बयान पर पार्टी से जवाब मांग तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिर से बार पलटवार किया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया विवादित बयान
आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूँगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा.”
इससे पहले उन्होंने कहा था कि “देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़ों के सम्मान की बात क्या कर दी, मानो भूचाल आ गया। एक-एक करके संतो, महंतों, धर्माचार्यों का असली चेहरा बाहर आने लगा। सिर, नाक, कान काटने पर उतर आये. कहावत सही है कि मुंह में राम बगल में छुरी।धर्म की चादर में छिपे, भेड़ियों से बनाओ दूरी.”
रामचरितमानस को लेकर पहले दिया था बयान
दरअसल, पूर्व मंत्री समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है। सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है।तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है। तुलसीदास की रामायण में चौपाई है। इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।