उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि हमें अपने राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन नहीं समझना चाहिए। वह पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के बारे में बात कर रहे थे, जो राज्य सरकार में मंत्री थे। खास बात यह है कि पिछले साल नवंबर में फडणवीस ने कहा था कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बगावत ”बीजेपी के प्रतिशोध” की वजह से हुई है। लेकिन हाल ही में ठाकरे परिवार को लेकर बीजेपी के सुर नरम होते नजर आए हैं। कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऐसा राजनीतिक हालात की वजह से है।
कई शिवसैनिक नाराज
ईसीआई द्वारा शिंदे के नेतृत्व वाली एक नई पार्टी को शिवसेना का नाम और प्रतीक देने का फैसला करने के बाद, उद्धव (दिवंगत शिवसेना प्रमुख के बेटे) ने कहा कि उनके पिता की विरासत चोरी हो गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा से बदला लेंगे। इसको लेकर कई शिवसैनिक नाराज हैं तो कुछ ईसीआई के फैसले को बीजेपी से प्रभावित बता रहे हैं।
भाजपा की छवि को नुकसान पहुंच सकता है?
भाजपा को चिंता है कि अगर उद्धव ठाकरे लोगों को यह समझाने में कामयाब हो जाते हैं कि शहर का चुनाव चिह्न बदला जाना चाहिए या नहीं, इस बारे में पार्टी ने उनसे झूठ बोला, तो जनता के बीच भाजपा की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। पार्टी यह सुनिश्चित करने के लिए आगामी बीएमसी चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है कि यह जनता के बीच लोकप्रिय रहे।
सब कुछ ठीक है तो पार्टी को आगे बढ़ना चाहिए
बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी का मकसद 2019 में शिवसेना के संरक्षक उद्धव ठाकरे को सबक सिखाना था। हालांकि, उद्धव ने बीजेपी छोड़ दी और इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस में शामिल हो गए। बीजेपी के कुछ नेताओं को लगता है कि अब जबकि सब कुछ ठीक है तो पार्टी को आगे बढ़ना चाहिए।
पटोले ने बीजेपी पर भी ऐसे ही लगाए आरोप
एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही बीजेपी पर हमलावर हैं और शिवसेना के अजित पवार का कहना है कि अगर बीजेपी शिवसेना के अधिकार छीन लेगी तो लोग इसे पसंद नहीं करेंगे। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने बीजेपी पर भी ऐसे ही आरोप लगाए हैं।