देश के दक्षिण राज्य तमिलनाडु में पोंगल त्यौहार के दौरान बैलों को काबू करने के खेल जल्लीकट्टू के आयोजन की परंपरा है और शनिवार को मदुरै का पालामेडु इन आयोजनों का केंद्र बना जहां प्रतिभागी प्रतियोगिता जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य के पालामेडु में पोंगल जल्लीकट्टू का आयोजन पूरे उत्साह से किया गया और प्रतियोगिता के लिए लाए गए 700 बैलों में से सबसे ताकतवर 179 बैलों को उन्हें काबू करने वालों की भीड़ में छोड़ा गया। प्रतियोगिता के दूसरे चरण की शुरुआत सुबह साढ़े सात बजे हुई और इसका उद्घाटन राज्य के मंत्री पी मूर्ति और पीटीआर पलानीवेल त्यागराजन ने किया।
पोंगल त्यौहार के बाद मनाया जाता है जल्लीकट्टू
जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में एक-एक कर बैलों को मैदान में छोड़ा गया और उसके तुरंत बाद उन्हें काबू में करने वाले प्रतिभागी इन बैलों की पीठ पर निकले कूबड़ को पकड़ उन्हें काबू में करने की कोशिश करते दिखाई दिए जबकि बैल उनकी चंगुल से बचने के लिए पूरी ताकत लगा रहे थे। जिन बैलों को काबू नहीं कर पाते उन्हें विजेता घोषित किया जाता है। गौरतलब है कि पोंगल के पहले दिन शुक्रवार को यहां के अवनियापुरम में जल्लीकट्टू की पहली प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमें करीब 641 बैलों ने हिस्सा लिया था। अवनियापुरम में बैल ने 18 वर्षीय एक दर्शक को कुचल दिया था जिससे उसकी मौत हो गई थी।
खेल पर प्रतिबंध लगाने की कई बार उठी है मांग
राज्य में इस खेल के मद्देनजर पालामेडु में आयोजित जल्लीकट्टू के लिए विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था की गई है और पुलिस की तैनाती की गई है। जिला प्रशासन ने पहली बार आयोजन की लाइव स्ट्रीमिंग कराने की व्यवस्था की है। जल्लीकट्टू पर कई बार प्रतिबंध लगाने की मांग उठी है लेकिन इस पर कोई रोक नहीं लगाता क्योंकि वहां के लोग इसे ऐतिहासिक खेल मानते है जो काफी समय से चला आ रहा है।