तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने दिखाया है कि राज्यपालों को चुनी हुई सरकारों के फैसलों को ठंडे बस्ते में नहीं डालना चाहिए।
राजीव गांधी हत्याकांड में छह दोषियों की रिहाई के न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का यह फैसला इस बात को रेखांकित करता है कि राज्यपालों को चुनी हुई सरकारों के फैसलों और प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में नहीं डालना चाहिए।’’ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ द्रमुक के अध्यक्ष ने न्यायालय के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए भी दोषियों की रिहाई की पैरोकारी की थी।
जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहा कि पिछले साल राज्य में सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने केंद्र से उन्हें रिहा करने का अनुरोध किया, तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा तथा उन्हें रिहा कराने के लिए लड़ी गयी कानूनी लड़ाई का समर्थन किया। स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल (बनवारीलाल पुरोहित और बाद में आर एन रवि) ने दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले (2018 में अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान लिये गये) को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार ने दोषियों की रिहाई की मंजूरी देने के लिए राज भवन पर लगातार दबाव बनाया।