देहरादून : वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम चोराबाड़ी व ग्लेशियर क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर वापस लौट चुकी है। टीम ने झील से केदारनाथ धाम को होने वाले खतरे का सच बयां किया। टीम ने बताया कि चोराबाड़ी ताल आपदा के बाद से अपनी पुरानी स्थिति में है। यहां पानी का स्राव बहुत कम है, जो सीधे बह रहा है। उन्होंने बताया कि ताल के तीन किमी ऊपर ग्लेशियर में बर्फ पिघलने से झील बनी है।
ये झीलें एक निश्चित समय में स्वतः ड्रेनेज हो जाती हैं। वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने चोराबाड़ी व ग्लेशियर क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर केदारनाथ मंदिर व केदारपुरी से किसी भी प्रकार के खतरे से इंकार किया है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डीपी डोभाल के नेतृत्व में नौ सदस्यीय टीम ने केदारनाथ से चार किमी ऊपर चोराबाड़ी और उससे तीन किमी ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया है।
टीम में डा. विनीत, डा. राजीव आलोवालिया और डा. अखिलेश गैरोला समेत एसडीआरएफ और पुलिस के जवान थे। इधर, डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर जरूरी कार्रवाई की जाएगी। दो दिनों तक टीम द्वारा इस पूरे क्षेत्र का निरीक्षण कर वहां की भौगोलिक स्थिति का जायजा लिया गया। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डीपी डोभाल के नेतृत्व में नौ सदस्यीय टीम ने केदारनाथ से चार किमी ऊपर चोराबाड़ी और उससे तीन किमी ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया।
– सुनील तलवाड़