गोवा सरकार ने बुधवार को बंबई हाई कोर्ट की पीठ से कहा कि पत्रकार तरुण तेजपाल से जुड़े 2013 के बलात्कार मामले में पीड़िता को सार्वजनिक तौर पर शर्मसार किया गया और निचली अदालत का फैसला ‘‘प्रतिगामी’’ तथा ‘‘पांचवीं सदी के लिए उपयुक्त’’ था। मामले में तेजपाल को बरी कर दिया गया था। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति एम एस जावलकर की पीठ ने मामले की सुनवाई 16 नवंबर तक स्थगित कर दी।
उसी दिन इस मामले में बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार की अपील को चुनौती देने वाले तेजपाल की याचिका पर भी सुनवाई होगी। गोवा सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि अभियोक्ता (महिला) को सार्वजनिक तौर पर शर्मसार किया गया। उन्होंने निचली अदालत के फैसले को ‘‘प्रतिगामी’’ और ‘‘पांचवीं शताब्दी के लिए उपयुक्त’’ करार दिया।
न्यायमूर्ति डेरे ने कहा, ‘‘सिर्फ इस मामले में नहीं, बल्कि दुष्कर्म के सभी मामलों में हम वकीलों को सबूत नहीं पढ़ने देंगे, हम खुद पढ़ेंगे।’’ उन्होंने कहा कि वकील सबूतों का जिक्र करते समय पेज संख्या का उल्लेख कर सकते हैं। इस साल 21 मई को एक सत्र अदालत ने ‘तहलका’ पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तेजपाल को उस मामले में बरी कर दिया, जहां उन पर नवंबर 2013 में गोवा में एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी तत्कालीन सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था।
बाद में गोवा सरकार ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की। हाई कोर्ट की पीठ के समक्ष बुधवार को मामले की सुनवाई होने पर तेजपाल के वकील अमित देसाई ने उनके द्वारा दाखिल दो अर्जियों पर विचार करने का अनुरोध किया। तेजपाल ने मामले में बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की अपील की सुनवाई को चुनौती दी है।