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तेलंगाना उच्च न्यायालय ने रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी के आदेश को किया रद्द, वकील ने दिया ये बड़ा तर्क

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पुलिस को कुछ रोहिंग्याओं को केंद्रीय जेल में बंद करने का अधिकार दिया गया था। न्यायमूर्ति शमीम अख्तर और न्यायमूर्ति ई.वी. वेणुगोपाल ने सरकारी आदेश (जीओ) को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास विदेशी अधिनियम की धारा 3 (2) (ई) के तहत रोहिंग्याओं को हिरासत में लेने का कोई अधिकार नहीं है।

रोहिंग्याओं ने अवैध रूप से आधार और अन्य दस्तावेज किए प्राप्त 

शरणार्थी के रूप में भारत आए पांच रोहिंग्याओं ने अवैध रूप से आधार और अन्य दस्तावेज प्राप्त किए और यहां रह रहे थे। उन्हें 2019 और 2020 में अलग-अलग अवधि के दौरान गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया। वे बाद में जमानत पर बाहर थे। इस साल जनवरी के दौरान, उन्हें फिर से हिरासत में लिया गया और यह कहते हुए चेरलापल्ली केंद्रीय कारागार भेज दिया गया कि अक्टूबर 2021 में जारी किए गए सरकारी आदेश के अनुसार, निचली अदालत द्वारा अपना फैसला सुनाए जाने तक और जब तक उन्हें निर्वासित नहीं किया जाता है तब तक उनकी उपस्थिति आवश्यक है।

वकील ने आदेश असंवैधानिक होने का दिया तर्क  

याचिकाकर्ताओं के वकील एमए शकील ने तर्क दिया कि शरणार्थियों को इस तरह हिरासत में नहीं लिया जा सकता है और विदेशी अधिनियम की धारा 3 (2) (ई) के तहत जारी किया गया आक्षेपित आदेश अवैध और असंवैधानिक है और केवल भारत संघ ही धारा 3(2)(जी) के तहत शक्ति का प्रयोग कर सकता है जो राज्य सरकारों को प्रदत्त नहीं है। अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल टी. सूर्य करन रेड्डी ने अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है कि रोहिंग्याओं को एक केंद्रीय जेल में हिरासत में लिया जा सकता है जिसे “निरोध केंद्र” घोषित नहीं किया गया था।