पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि केंद्र को देश की आदिवासी आबादी के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत एक कानून लाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के मौके पर जिले के जंगलमहल इलाके में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने यहां पहुंचीं बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार अपनी योजनाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के लोगों का समर्थन करना चाहती है।
उन्होंने कहा, ‘‘लक्ष्मी भंडार योजना के लाभार्थियों, जिसका उद्देश्य परिवार की महिला प्रमुखों को मूल आय सहायता प्रदान करना है, को एक सितंबर से सहायता राशि मिलनी शुरू हो जाएगी। साथ ही, ‘दुआरे राशन’ (घर के दरवाजे पर राशन) योजना जल्द ही शुरू की जाएगी, शायद एक या दो महीने में।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है और जाति, पंथ या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी। हमने अपने राज्य के आदिवासी समुदायों के विकास के लिए सभी कदम उठाए हैं।
झारग्राम में लगभग 95 प्रतिशत आदिवासी आबादी को राज्य सरकार की योजनाओं से लाभ मिला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने आदिवासियों के कल्याण के लिए और उनके भूमि अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अलग विभाग भी बनाया है।
बंगाल में जनजातीय भूमि को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। देशभर में आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए एक समान कानून केंद्र द्वारा लाया जाना चाहिए।’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘हमने इस क्षेत्र में सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बनाए हैं।
हमारी सरकार ने अलचिकी भाषा को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है। ‘दुआरे सरकार’ (घर के दरवाजे पर सरकार) परियोजना भी इस क्षेत्र में बड़ी सफल रही है।’’ बनर्जी ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान झारग्राम के लोगों को “उनके आशीर्वाद” के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपके आशीर्वाद के लिए आप सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। अगर हमने कोई गलती की है, तो हम उसे सुधारेंगे।’’