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बेगूसराय में लड़ाई मेरे और गिरिराज सिंह के बीच है : राजद प्रत्याशी तनवीर हसन

भाकपा बेगूसराय की सीट अपने खाते में चाहती थी। राजद हसन की लोकप्रियता और क्षेत्र में उनके काम को लेकर सीट से समझौता करने को तैयार नहीं थी। 

बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी तनवीर हसन का कहना है कि भाकपा नेता कन्हैया कुमार राजनीति में ‘नए आए हैं’ और भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह ‘काठ की हांडी’ हैं। उन्होंने कहा कि वह बेगूसराय से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। यहां 29 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है। बेगूसराय में त्रिकोणीय मुकाबले की खबरों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यहां से लड़ाई सिर्फ उनके और सिंह के बीच है जबकि कुमार सिर्फ ऐसे ही ‘होने के लिए’ हैं।

हसन ने कहा कि वामपंथी पार्टियों की मजबूत मौजूदगी की वजह से बेगूसराय को कभी ‘बिहार का लेनिनग्राद’ कहा जाता था। लेकिन 90 दशक के बाद यह ‘लालूग्राद’ में बदल गया। हसन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी भोला सिंह से हार गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ जमीनी हकीकत यह है कि भाकपा की हालत पिछले चुनाव से अच्छी नहीं है और कन्हैया सिर्फ इस त्रिकोण में हैं।’’ पिछले लोकसभा चुनाव में भाकपा के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। दूसरे स्थान पर हसन थे।

हसन से जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कुमार की बेगूसराय में लोकप्रियता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘नकारात्मक है। हो सकता है कि मैं मीडिया में लोकप्रिय नहीं हूं लेकिन जमीनी हकीकत अलग है।’’ संसद पर हमला करने के मामले में दोषी करार दिए गए अफजल गुरू की बरसी पर तीन साल पहले कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार होने के बाद कुमार लोकप्रिय हो गए। राजद प्रत्याशी ने यह स्वीकार किया कि गिरिराज सिंह उनके लिए चुनौती बन सकते हैं।

 हसन ने कहा, ‘‘ गिरिराज सिंह एक ‘ब्रांडेड’ नेता हैं। भाजपा के पास बहुत सारे ब्रांडेड नेता हैं। वह अपने विवादास्पद बयान के लिए जाने जाते हैं। उनको जिस तरह से पेश किया जाता है, वह चुनौती वाला है लेकिन सिर्फ ब्रांडिंग से आप पार नहीं जा सकते हैं। अब वह ‘काठ की हांडी’ हैं। यही नवादा में भी हुआ।’’ भाजपा ने नवादा के मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह को इस बार बेगूसराय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। इस बार राजग ने नवादा की सीट लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता को दिया है।

सिंह पहले बेगूसराय से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। बाद में कई दिनों के मान-मनौव्वल और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक के बाद वह माने। हसन ने कहा, ‘‘ बेगूसराय अचानक से भारतीय राजनीति का ‘हॉट (चर्चावाला)’ सीट बन गया और पूरा देश देख रहा है कि यहां क्या हो रहा है।

वास्तविकता यह है कि यहां के मतदाता काफी सजग हैं और काफी सोच-समझकर मतदान करते हैं।’’ राजद और भाकपा के बीच बिहार में गठबंधन नहीं हो पाया क्योंकि भाकपा बेगूसराय की सीट अपने खाते में चाहती थी। राजद हसन की लोकप्रियता और क्षेत्र में उनके काम को लेकर सीट से समझौता करने को तैयार नहीं थी।

राज्यसभा सांसद और राजद प्रवक्ता मनोज झा ने पीटीआई-भाषा को पिछले महीने बताया था, ‘‘ 2014 में तथाकथित मोदी लहर में भी हसन चार लाख वोट हासिल करने में सक्षम रहे थे और उन्होंने तब से बेगूसराय नहीं छोड़ा। हमारे लिए उनकी उम्मीदवारी को नजरअंदाज करना संभव नहीं था। हमारे पास मजबूत कार्यकर्ता है और वह तनवीर हसन को अपना उम्मीदवार चाहते थे और हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते थे।’’

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