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रक्षा डिजाइन और नवोन्मेष का भविष्य ‘बिजली’ और ‘लघुरूपण’ में है: एम एम नरवणे

भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि रक्षा और एयरोस्पेस में डिजाइन और नवोन्मेष का भविष्य ‘‘ बिजली’’और ‘‘लघुरूपण’’ में है तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जानी चाहिए।

भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि रक्षा और एयरोस्पेस में डिजाइन और नवोन्मेष का भविष्य ‘‘ बिजली’’और ‘‘लघुरूपण’’ में है तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जानी चाहिए। शहर के कर्णावती विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अहमदाबाद डिजाइन वीक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नरवणे ने ये बातें कही।
नरवणे ने कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से टैंक के डिजाइन में शायद ही बदलाव आया है और अब यह चुनौती है कि कुछ ऐसा डिजाइन किया जाए जो बिल्कुल अलग हो और भविष्य की दृष्टि से सुरक्षित हो। 
तो इसमें मुझे लगता है कि दो चीजें है जिनपर हमें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है 
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक रक्षा और एयरोस्पेस के संदर्भ में डिजाइन और नवोन्मेष के भविष्य को लेकर सवाल है, तो इसमें मुझे लगता है कि दो चीजें है जिनपर हमें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। एक है, बिजली के क्षेत्र का भविष्य।’’ उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन के अलावा केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से ‘इलेक्ट्रिक आधारित चीजों’’ की जरूरत को लेकर खाका दिया है, जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भर नहीं हो।’’ 
जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘हमारे पास अग्रिम इलाकों में लगे हजारों की संख्या में जेनरेटर हैं क्योंकि वहां बिजली की आपूर्ति नहीं है। इन जेरनरेट को चलाने के लिए ईंधन और इन्हें ढोने के लिए वाहन की जरूरत होती है और इस पर खर्चा लगता है।’’ 
इसलिए लघुरूपण भी एक क्षेत्र है जिसमें हमें आगे बढ़ने की जरूरत है 
उन्होंने कहा, ‘‘अग्रिम इलाकों पर एक यूनिट बिजली उत्पादन पर 15 गुनु अधिक खर्च होता है। क्या हम कोई पहल कर सकते हैं जिससे हम अग्रिम इलाकों में बिजली उत्पादन कर सकें और जीवश्म ईंधन पर निर्भर नहीं हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य लघुरूपण का हैं… हमारे पोत और विमानों को हमारी जरूरत के मुताबिक छोटा करने की जरूरत है। इन छोटे स्थान में हमें और विशेषताओं को जोड़ने की आवश्यकता है। इसलिए लघुरूपण भी एक क्षेत्र है जिसमें हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।’’ जनरल नरवणे ने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए डिजाइन करने के दौरान दिमाग में ‘वीईडी’ पहलु को ध्यान में रखना चाहिए जिसका अभिप्राय ‘वाइटल’ (महत्वपूर्ण), इसेंशियल (आवश्यक) और डिजाइरबल (वांछनीय) है। 
ऐसी प्रणाली डिजाइन करना जिसमें सब कुछ हो, सर्व सुविधा संपन्न हो….  
उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में युद्धभूमि की जरूरते बहुत ही चुनौतीपूर्ण और विविधतापूर्ण है। सेनाध्यक्ष ने कहा, ‘‘ ऐसी प्रणाली डिजाइन करना जिसमें सब कुछ हो, सर्व सुविधा संपन्न हो…. न केवल चुनौतीपूर्ण होती है बल्कि कई बार इसकी सफलता पर आशंका होती है और इन्हें हासिल करना अव्यवहारिक लगता है। अगर हम बदलाव नहीं करेंगे तो नष्ट हो जाएंगे।’’ 
उन्होंने इस संदर्भ को समझाने के लिए कोडेक, नोकिया और एचएमटी कंपनियों का उदाहरण दिया। जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना को ऐसी डिजाइन चाहिए जो 50 साल तक प्रभावी रहे। सेनाध्यक्ष ने बताया कि डिजाइनर और सेना के बीच समन्वय के लिए सेना डिजाइन ब्यूरो का गठन किया गया है।

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