भोपाल के सरकारी कमला नेहरु अस्पताल के शिशु वार्ड में आग लगने के मामले में आज मुख्य विपक्षी दल ने आरोप लगाते हुए कहा कि । कांग्रेस का दावा है कि इस घटना में 14 हुयी है। कांग्रेस ने इस मामले की जांच अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी से कराने के सरकार के कदम का भी विरोध किया और कहा कि जो स्वयं इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें ही जांच सौंप दी गयी है।
पटवारी का दावा- 14 बच्चों की मृत्यु हुयी
पार्टी ने कहा कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से करायी जाना चाहिए। इसके अलावा दोषियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, डॉ विजयलक्ष्मी साधौ, पी सी शर्मा और विधायक आरिफ मसूद ने आज यहां पत्रकारों से चर्चा में यह बात कही। इसके पहले कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल अस्पताल की स्थिति का जायजा लेकर भी आया। श्री पटवारी ने कहा कि सोमवार की रात्रि में अस्पताल में आग लगने और धुंआ फैलने के मामले में सरकार 04 ही बच्चों की मौत की बात कर रही है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वे स्वयं अस्पताल से आए हैं और 14 बच्चों की मृत्यु हुयी है।
PM को अपनी यात्रा के दौरान बच्चों की मौत के संबंध में जानकारी लेनी चाहिए
उन्होंने कहा कि सरकार को मौत के मामले छिपाने की बजाए वास्तविक स्थिति से अवगत कराना चाहिए। सरकार को यह भी बताना चाहिए कि आग लगने के समय वार्ड में कितने बच्चे मौजूद थे। कितने लापता हुए और कितनों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ अस्पताल में जहां आग से बच्चों की मौत हुयी, वहीं सरकार 15 नवंबर को प्रधानमंत्री की मौजूदगी में बड़ कार्यक्रम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी यात्रा के दौरान बच्चों की मौत के संबंध में जानकारी हासिल करना चाहिए।
पूर्व मंत्री सुश्री साधौ ने कहा कि इस संपूर्ण घटना के लिए प्रशासन और सरकार जिम्मेदार है, जिसने समय रहते फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराए और आग लगने की घटनाएं रोकने के प्रयास नहीं हुए, जबकि पहले भी अस्पताल में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। सुश्री साधौ ने कहा कि सरकारी अस्पताल के प्रबंधन की व्यवस्था संभागीय आयुक्त के हाथों में सौंपने की उचित नहीं है और इसमें बदलाव होना चाहिए।
पूर्व मंत्री सुश्री साधौ ने कहा कि इस संपूर्ण घटना के लिए प्रशासन और सरकार जिम्मेदार है, जिसने समय रहते फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं कराए और आग लगने की घटनाएं रोकने के प्रयास नहीं हुए, जबकि पहले भी अस्पताल में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। सुश्री साधौ ने कहा कि सरकारी अस्पताल के प्रबंधन की व्यवस्था संभागीय आयुक्त के हाथों में सौंपने की उचित नहीं है और इसमें बदलाव होना चाहिए।