साल 1990 में हुए कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' एक बार फिर चर्चा में है। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड और इज़राइली फिल्मकार नदव लापिद ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को वल्गर और प्रोपेगेंडा फिल्म बताया तो वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने भी इसको प्रोपेगेंडा बता दिया।
नदव लापिद के बयान पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता जय राउत ने कहा कि यह कश्मीर फाइल्स के बारे में सच है। एक दल द्वारा दूसरे दल के विरुद्ध दुष्प्रचार किया जा रहा था। एक पार्टी और सरकार प्रचार में व्यस्त थी। लेकिन इस फिल्म के बाद कश्मीर में सबसे ज्यादा हत्याएं हुईं। कश्मीर पंडित और सुरक्षाकर्मी मारे गए।
उन्होंने कहा कि तब कहां थे ये कश्मीर फाइल्स वाले? कश्मीरी पंडितों के बच्चे भी आंदोलन कर रहे थे, तब कहाँ थे? तब कोई आगे नहीं आया, न ही कश्मीर फाइल्स 2.0 की कोई योजना थी-उसे भी बनाओ। राउत ने कहा,अगर कश्मीरी पंडितों को लेकर इतनी संवेदना है तो फिल्म ने जो करोड़ों रुपए की कमाई की है उनका एक हिस्सा कश्मीरी पंडितों के उत्थान के लिए दिया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
The Kashmir Files : विवादित बयानबाजी के बाद इजराइल के राजदूत ने IFFI के जूरी हेड को लगाई लताड़
दरअसल, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड नदाव लैपिड ने इस फिल्म पर एक बयान देकर विवाद बढ़ा दिया है।इजराइली फिल्म निर्माता नदाव लैपिड ने इसे एक अश्लील प्रोपेगंडा फिल्म बताया है। वहीं इस बयान को लेकर भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने नदव लापिद को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि नदव लैपिड के बयान पर हमें शर्म आती है।