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प्रधानमंत्री मोदी के गुरुद्वारे जाने पर शिवसेना ने चुटकी ली, कहा – ऐसी श्रद्धा किसी काम की नहीं

शिवसेना ने मंगलवार को पूछा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारा जाने और गुरुतेग बहादुर से प्रेरणा लेने की अपील से किसानों के प्रदर्शन का क्या नतीजा निकलेगा, जिसमें उनके अनुयायी शामिल हैं।

शिवसेना ने मंगलवार को पूछा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारा जाने और गुरुतेग बहादुर से प्रेरणा लेने की अपील से किसानों के प्रदर्शन का क्या नतीजा निकलेगा, जिसमें उनके अनुयायी शामिल हैं। 
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के मराठी संस्करण में एक संपादकीय में मोदी के रविवार को गुरुद्वारा जाने और गुरु तेग बहादुर को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिये श्रद्धांजलि अर्पित करने का जिक्र किया गया है। गुरु तेग बहादुर की रविवार को पुण्यतिथि थी। गुरुद्वारा रकाबगंज में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। 
सिखों समेत हजारों किसान मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 सितंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि मोदी के गुरुद्वारा जाने पर भी किसान टस से मस नहीं हुए और सिख किसानों के साथ प्रदर्शन जारी रखा। 
संपादकीय में कहा गया है, ”प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु तेग बहादुर से प्रेरणा लेने की अपील की है। सुनकर खुशी हुई। हजारों सिख योद्धा उन्हीं से प्रेरणा लेकर दिल्ली सीमा के निकट लड़ाई लड़ रहे (आंदोलन) हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इस लड़ाई का क्या नतीजा निकलता है। ” 
संपादकीय में लिखा है कि मोदी के गुरुद्वारा पहुंचने पर ‘गुरबाणी’ हो रही थी। गुरबाणी कहती है कि अगर कोई अपने विचार नहीं बदलता है, तो भगवान की सेवा और उसके प्रति श्रद्धा किसी काम की नहीं है। इसमें लिखा है कि पवित्र धार्मिक ग्रंथ को कितनी भी बार पढ़ लीजिये अगर इससे आपको सीख नहीं मिलती, तो इसका कोई फायदा नहीं है। 
साथ ही यह भी सवाल किया गया है कि अगर किसी का समय आ गया है और उसे अपने कर्मों का हिसाब-किताब देना पड़े तो वह क्या करेगा। संपादकीय में कहा गया है कि गुरबाणी में बताया गया है कि समय के आगे किसी का जोर नहीं चल सकता। 
 

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