पटना : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर कांड में शुरू से ही बिहार सरकार द्वारा और स्थानीय प्रशासन के द्वारा बहुत कुछ छुपाने का प्रयास बिहार की जनता साफ-साफ देख पा रही थी। बार बार शिकायतों के बावजूद बिहार भर के शेल्टर होम, अल्प आवास गृहों, अनाथालयों व बालिका गृहों से मुजफ्फरपुर कांड की ही तरह शिकायतें आ रही थी। गया, पटना, गोपालगंज, भागलपुर जैसे राज्य के सभी बालिका गृहों से शिकायतों व अफवाहों का बाज़ार गर्म हुआ जिन्हें बार-बार जानबूझकर अनसुना करके ठंडे बस्ते में डाला जा रहा था। जो बार बार गांधी जी को याद करने का ढोंग करते हैं उनके नैतिकता का कथा बांचते सफेद कुर्ते पर लाल रंग के दाग ही दाग हैं।
देश भर की बच्चियां उनसे सवाल पूछ रही हैं जिनसे वह भाग नहीं सकते। अभी 16 फरवरी को मुजफ्फरपुर पास्को कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बलात्कार कांड में दोषी और जेल में बंद एक डॉक्टर अश्विनी की तथ्य आधारित अपील पर बिहार के मुख्यमंत्री से संबंधित मामला सीबीआई को जांच के लिए अग्रेसित किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने प्रथम दृष्ट्या इस मामले को सिरे से खारिज कर हमारी सीबीआई जांच की मांग को ठुकराया था? उन्हें किस बात का डर था? जब हमने मुजफ्फरपुर बालिका गृह का दौरा कर वहां बच्चियों के साथ किए गए, डरावने और अमानवीय कृत्यों को पब्लिक डोमेन में रखकर सरकार पर सदन से लेकर सडक तक दबाव बनाया तब जाकर दबाव में यह मामला सीबीआई को सुपुर्द किया गया।
श्री यादव ने बताया कि इस घिनौने जनबलात्कार कांड में सत्ता प्रतिष्ठान के शीर्ष लोग गंभीर रूप से सम्मिलित है तो किसी ने यकीन नहीं किया था। हमने सम्मिलित मंत्रियों की मिलीभगत को उजागर किया। लेकिन तब भी मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को निर्दोष बता रहे थे परंतु मात्र चंद दिन बाद मीडिया में ब्रजेश ठाकुर की सीडीआर डिटेल्स में उसका पर्दाफाश होने एवं विपक्ष व जनता के नैतिक दबाव के बाद मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। उसी सीडीआर डिटेल्स में एक और मंत्री की भी कॉल डिटेल्स थी लेकिन उसे दबा दिया गया। क्या नीतीश कुमार नहीं जानते वह मंत्री कौन है? क्या इसलिए भाजपा कोटे के उस मंत्री को बर्खास्त नहीं किया गया क्योंकि वो सबकी पोल खोल देता? बच्चियों के अनुसार तोंद वाले और मूंछ वाले अंकल कौन थे? क्यों उनकी कॉल डिटेल्स मिलने के बाद भी आज तक उसकी निशानदेही या गिरफ्तारी नहीं हुई है? मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर से जेल में चर्चित डायरी बरामद हुई थी जिसमें पटना वाले बडे सर का जिक्र था? क्या सीबीआई ने खोज लिया था वह पटना वाला बड़ा सर कौन है?
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि क्या सीबीआई जांच की आंच उस पटना वाले बड़े सर के पास पहुंच गयी थी जिसके चलते सीबीआई के तत्कालीन निदेशक ने तबादला नहीं करने के कोर्ट आदेश के विपरीत जाकर, कोर्ट की अवमानना कर सीबीआई के तत्कालीन अनुसंधानकर्ता एसपी का बिना कारण बता, अचानक तबादला कर दिया था ताकि वो पटना वाले बडे साहब बच सके? क्या यह मामला संदेहास्पद नहीं है क्योंकि सीबीआई निदेशक स्तर का अधिकारी किसी बडे व्यक्ति को बचाने के लिए ही कोर्ट की अवमानना करने का जोखिम उठायेगा? बाद में उस अधिकारी को अवमानना का दोषी करार कर सर्वोच्च न्यायालय ने दी?
नीतीश कुमार ने बाद में केस में सीबीआई जांच में सहयोग करने वाली तत्कालीन जिला पुलिस अधिकारी श्रीमती हरप्रीत कौर को सम्मानित करने की बजाय उनका तबादला कर दिया? वो केस से संबंधित सभी जानकारियां जुटा रही थी तो क्यों उन्हें मुजफ्फरपुर से आनन-फानन में हटाया क्या? मुख्यमंत्री जवाब दें? नीतीश कुमार ने आईपीआरडी मंत्री की हैसियत से ब्रजेश ठाकुर के बिना सर्कुलेशन के विभिन्न अखबारों को लगातार वर्षों तक करोडों-करोड के विज्ञापन क्यों दिए? क्या इस दृष्टिकोण से भी सीबीआई को मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच-पडताल नहीं करनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि क्या नीतीश कुमार ब्रजेश ठाकुर के घर उसके बेटे के जन्मदिन की पार्टी में नहीं गए थे? क्या नीतीश कुमार ने ब्रजेश ठाकुर के पक्ष में प्रचार नहीं किया था? क्या नीतीश कुमार के ब्रजेश ठाकुर से आत्मीय संबंध नहीं थे? नीतीश कुमार ने गृहमंत्री की हैसियत से इस मामले में हस्तक्षेप कर मामले को टालने की हरसंभव कोशिश की। टीआईएसएस की रिपोर्ट आने के दो माह तक भी मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर पर उन्होंने कारवाई क्यों नहीं की? अनाथ 34 बच्चियों के जनबलात्कार के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर को सत्ता पक्ष द्वारा हर कदम पर बचाने, देरी करने, सबूतों को मिटाने की कोशिश बार-बार किसके इशारे पर हुई। मुख्यमंत्री बता, ऐसी किन बातों का ब्रजेश ठाकुर राजदार है कि उन्हें सत्ता पक्ष द्वारा उसे संरक्षण प्रदान किया जा रहा था?