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पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विरोध करने वाले आज पिछड़ों को बरगला रहे हैं : नित्यानंद

खारिज कर दिया था, बल्कि राज्यों को भी उसके विरोध में पत्र लिखा था। बाद में कांग्रेस ने पिछड़ों के कल्याण के लिए कोई नया आयोग नहीं बनाया।

पटना : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि पिछड़े वर्गों के उत्थान, उनके हितों के संरक्षण और उन्हें न्याय दिलाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘पिछड़ा वर्ग आयोग’ को संवैधानिक दर्जा देने की ऐतिहासिक पहल की है। दूसरी ओर राज्यसभा में इसका विरोध करने और आजादी के बाद से ही लगातार पिछड़ों का हक मारनेवाली पार्टियां आज पिछड़ों को बरगलाने के प्रयास में जुटी हैं।

श्री नित्यानंद राय ने सवाल किया कि राजद नेता तेजस्वी यादव आज किस मुंह से खुद को पिछड़ों के हिमायती बता रहे हैं, जबकि उनकी पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ मिल कर पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने विरोध किया था। जिस कांग्रेस ने आजादी के बाद से ही लगातार पिछड़ों को आरक्षण देने और उन्हें न्याय दिलाने की सिफारिशों का विरोध किया, उसके साथ गलबहियां करने वाले राजद को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।

श्री राय ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को मजबूती से लागू करने और पिछड़ी जातियों को उनका हक दिलाने की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए ही पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की पहल की है।

श्री नित्यानंद राय ने कहा कि आजादी के बाद से ही जब भी पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण देने या उनके विकास की बात की गयी, कांग्रेस ने हमेशा उसका विरोध किया है। नेहरू जी, राजीव जी के काल से लेकर अब तक पार्टी का रवैया बदला नहीं है। 1953 में गठित काका कालेलकर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पिछड़ों के लिए नौकरियों में आरक्षण सहित कई सिफारिशें की थीं। लेकिन, नेहरू जी ने न केवल उन सिफारिशों को खारिज कर दिया था, बल्कि राज्यों को भी उसके विरोध में पत्र लिखा था। बाद में कांग्रेस ने पिछड़ों के कल्याण के लिए कोई नया आयोग नहीं बनाया।

मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार ने मंडल आयोग का गठन किया। आयोग ने पिछड़ी जातियों का राज्यवार सर्वेक्षण कर उन्हें न्याय दिलाने के लिए आरक्षण सहित कई महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं। कांग्रेस सरकार ने उसे भी लागू नहीं किया। राजीव गांधी ने मंडल आयोग की सिफारिशों के विरोध में संसद में तीन घंटे तक भाषण दिया था। बाद में भाजपा के सहयोग से बनी बीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया। बावजूद इसके, पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सही रूप में नहीं मिल पाया है, इसे 11-12 प्रतिशत के आसपास ही सीमित रखा गया है।

उन्होंने सवाल किया कि यह कोई संयोग है या जानी-समझी साजिश कि जिस साल सोनिया गांधी कांग्रेस से जुड़ीं, उसी साल तीसरे मोर्च की सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया। उनके पुत्र राहुल गांधी जब पार्टी अध्यक्ष बने, तब कांग्रेस ने ओबीसी आयोग विधेयक का विरोध किया। पिछड़ा विरोध की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी? पार्टी ने जिस तरह बाबा साहेब आंबेडकर के साथ व्यवहार किया है, उसे कैसे भूला जा सकता है?

श्री राय ने कहा कि भाजपा हमेशा ही पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की समर्थक रही है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गरीब परिवार से हैं और ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प के साथ सभी वर्गों के कल्याण के लिए कदम उठा रहे हैं। इस संबंध में तेजस्वी जैसे नेताओं को किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए। यह कड़वी हकीकत है कि राजद के 15 वर्षों के शासनकाल में बिहार का हर वर्ग त्रस्त था, भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार बन गया था। राजग की केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने सुशासन से बिहार के विकास को नयी गति दी है। अब बिहार के लोग किसी बहकावे में नहीं आएंगे।

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