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अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम की समीक्षा करने का समय आ गया : मुख्यमंत्री बोम्मई

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा कि अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम की समीक्षा करने का समय अब आ गया है। उन्होंने कहा कि यह कानून समाधान देने से अधिक विवाद पैदा कर रहा है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा कि अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम की समीक्षा करने का समय अब आ गया है। उन्होंने कहा कि यह कानून समाधान देने से अधिक विवाद पैदा कर रहा है।
दक्षिणी क्षेत्र में ‘पीएम गति शक्ति’ के उद्घाटन के मौके पर आयोजित सम्मेलन को आनलाइन संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने यह बात कही। इस सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय सड़क परिवहन एवं हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने की।
बोम्मई ने कहा, ‘‘कुछ कानूनी हस्तक्षेप जरूरी हो गए हैं, इसमें विलंब बहुत महंगा पड़ेगा जो कि हमारे आधारभूत ढांचे को प्रभावित कर रहा है। अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम के कारण हमारी सिंचाई परियोजनाओं में देरी हो रही है। वास्तव में यह कानून समस्याएं सुलझाने से ज्यादा विवाद पैदा करता है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराज्यीय जल विवादों का एक ही चरण में समाधान करने के लिए कई स्तरों वाली व्यवस्था को हटा दिया जाए। बोम्मई ने कहा, ‘‘एक नदी घाटी क्षमता की अधिकतम उपयोगिता, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और सभी राजनीतिक मान्यताओं को किनारे करके सभी तटवर्ती राज्यों का हित साधने वाला समाधान हो सकता है। आइए अब हम इस पर नए सिरे से सोचना शुरू करते हैं।’’
बोम्मई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कावेरी, महादयी और कृष्णा नदियों से संबंधित अंतरराज्यीय जल विवाद को लेकर कर्नाटक का पड़ोसी राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा और आंध्र प्रदेश से टकराव है। राज्य कावेरी में मेकेदातु परियोजना के संबंध में मंजूरी (विशेष रूप से पर्यावरण से संबंधित मंजूरी) के लिए जोर दे रहा है।

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