वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार के पतन के लिए भाजपा पर धन बल के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि जनादेश को पलटने के लिए वहां की जनता भगवा पार्टी को करार जवाब देगी। उन्होंने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाना आगामी चुनाव का मुख्य मुद्दा होगा।
केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की ओर से नियुक्त वरिष्ठ पर्यवेक्षक मोइली ने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के साथ पार्टी का गठबंधन जारी रहेगा और आने वाले चुनावों में गठबंधन को शानदार बहुमत मिलेगा।
मोइली ने दावा किया कि पुडुचुरी का चुनाव भाजपा के पतन की शुरुआत होगी और कांग्रेस पार्टी की मार्फत देश में लोकतांत्रिक ताकत को बल मिलेगा। भाजपा पर हमला करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पुडुचेरी की कांग्रेस सरकार सरकार को कभी भी काम नहीं करने दिया गया और इसके लिए तत्कालीन उपराज्यपाल किरन बेदी को आगे किया गया। मोइली ने कहा, ‘‘उनका उकमात्र ध्येय कांग्रेस सरकार को काम नहीं करने देना था।’’
उन्होंने कहा कि इस बारे में तत्कालीन मुख्यमंत्री वी नारायणसामी की ओर से विभिन्न माध्यमों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अवगत कराया गया लेकिन उन्होंने एक ना सुनी।’’ ज्ञात हो कि पिछले दिनों कुछ कांग्रेस और द्रमुक के विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई थी और उसके बाद नारायणसामी को इस्तीफा देना पड़ा था।
मोइली ने आरोप लगाया कि मोदी और शाह के नेतृत्व में केंद्र सरकार नेपिछले चार-पांच सालों में पुडुचेरी में ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ की और कोई भी विकास का काम नहीं होने दिया। उन्होंने दावा किया कि पुडुचेरी के विधायक भी घुटन महसूस कर रहे थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि सरकार यदि फिर से सत्ता में लौटती है तो भी बेदी उसे भी काम करने नहीं देगी।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (भाजपा) विधायकों को सत्ता और धन का प्रलोभन दिया। वे भी लालच में आ गए क्योंकि सरकार को काम ना करने देने से वे भी घुटन महसूस कर रहे थे।’’ विधायकों के इस्तीफे के सिलसिले और कांग्रेस सरकार के पतन को उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा उपराज्यपाल के माध्यम से करायी गई ‘‘लोकतंत्र की खुली हत्या’’ करार दिया।
हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार विधायकों के इस्तीफे के चलते नहीं गिरी बल्कि मनोनित सदस्यों को मतदान करने देने से गिरी। उन्होंने कहा, ‘‘तीन सदस्यों का मनोनयन और उन्हें मताधिकार की शक्ति देना बेहद अलोकतांत्रिक था। यहां तक कि न्यायपालिका ने भी इस मामले में जल्दी कदम नहीं उठाया।’’