देहरादून : नियुक्ति की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे प्रशिक्षित बेरोजगारों ने अब नये ढंग से आंदोलन को गति देते हुए अपने खून से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पिछले लम्बे समय से आंदोलन चला रहे बेरोजगारो की जब सरकारी स्तर पर उपेक्षा हुयी तो बेरोजगारों ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाने के लिए रक्त का सहारा लिया।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रधानमंत्री को जो खून से लिखा पत्र भेजा जा रहा है उस पर क्या कार्यवाही होती है। प्रधानमंत्री इस पत्र का संज्ञान लेते हैं या फिर यह पत्र भी अन्य पत्रों की तरह फाईलो की धूल फांकेगा। यह आने वाला वक्त बतायेगा। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगार सैकडो की संख्या में लैंसडाउन चैक के निकट स्थित धरना स्थल पर आंदोलन चला रहे हैं।
बीपीएड, एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन के बैनर तले युवा वर्ग प्रदेश अध्यक्ष जगदीश चंद पाण्डेय के नेतृत्व में आवाज बुलंद किए हुए है। जब प्रशिक्षितो के आंदोलन की तरफ सरकार, शासन, प्रशासन ने गौर नही किया तो संगठन से जुडी दो महिला बेरोजगार हंसा बिष्ट व पुष्पा पाठनी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। आज उनके अनशन को छठा दिन है।
लेकिन अभी तक सोई सरकार की निद्रा नहीं टूटी और तो और आमरण अनशनकारियों का स्वास्थ्य परीक्षण के लिए चिकित्सको की टीम तक नहीं आयी है। इस पत्र में प्रशिक्षित बेरोजगारो ने बताया कि वह लोग वर्ष 2008 से आंदोलन कर रहे हैं और छह दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं परंतु राज्य सरकार उनकी तरफ ध्यान नही दे रही है।
एनसीटीई की गाईड लाईन शारीरिक शिक्षक की अनिवार्य होने के सापेक्ष में कक्षा 1 से 12 तक प्रत्येक विद्यालय में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति की जाए। धरने पर बैठने वालो में मुख्य रूप से जगदीश चंद पाण्डेय, हरेंद्र खत्री, हिमांशु राजपूत, अर्जुन लिंगवाल, आलोक नैथानी, सुमन नेगी, प्रदीप चौधरी, सूरज रावत, धर्मेन्द्र सिंह, प्रवीण, रेखा, हरीश पंवार आदि शामिल थे।