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जनजातीय समुदायों में भेदभाव नहीं होता इसलिए स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर: राष्ट्रपति

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोवंद ने एक समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय समुदायों में स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है, इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय समुदायों में स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है, इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।
कोविंद दमोह जिले के ग्राम सिंग्रामपुर में राज्य-स्तरीय जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे। उन्होने सम्मेलन में कहा, ‘‘हम सबको अपने जनजातीय भाई-बहनों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनजातीय समुदायों में एकता-मूलक समाज को बनाए रखने पर जोर दिया जाता है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘उनमें (जनजातीय समुदायों में) स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।’’ उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है, प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। उनकी जीवनशैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। 
कोविंद ने कहा कि आदिवासी जीवन संस्कृति में सहजता होती है तथा परिश्रम का सम्मान होता है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो आपको जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार संचित है। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश में ‘विशेष पिछड़ी जनजाति समूह’ में शामिल बैगा समुदाय के लोग परंपरागत औषधियों व चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं।’’

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