लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

कोरोना से बचाव के लिए आदिवासियों ने लगाया ‘स्व-लॉकडाउन’, जंगलों के बीच गांवों में खुद को किया सीमित

केरल के इडुक्की में आदिवासियों ने महामारी से बचने के लिए ‘स्व-लॉकडाउन’ का कदम उठाते हुए खुद को जंगलों के बीच अपने गांवों में सीमित कर लिया है।

शहरों और महानगरों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भी लोगों की लापरवाही की खबरें सामने आ रही है। वहीं जागरूकता और बचाव का परिचय देते हुए केरल के इडुक्की में आदिवासियों ने महामारी से बचने के लिए ‘स्व-लॉकडाउन’ का कदम उठाते हुए खुद को जंगलों के बीच अपने गांवों में सीमित कर लिया है। वे न तो खुद बाहरी इलाकों में जा रहे हैं और न ही किसी को बाहर से अपने गांवों में आने दे रहे हैं।
मरायूर से करीब पांच किलोमीटर दूर ऊन्जम्पाड़ा निवासी युवा आदिवासी राजेश ने भी खुद को जंगल स्थित अपने गांव में सीमित कर रखा है। अगर उनसे कोई पूछता है कि उन्हें इन दिनों शहर की याद नहीं आती है तो वह साफ बोलते हैं, “ यह पृथक-वास हमारी भलाई और बीमारी को दूर रखने के लिए है।” पर्वतीय जिले के वनवासियों के एक वर्ग की इस समझदारी से वे अपने गांवों में कोविड-19 की घुसपैठ को रोक पाने में कामयाब रहे हैं। 
सरकार के लॉकडाउन लगाने से काफी पहले ही उन्होंने अपने आपको अपने गांवों में ही सीमित कर लिया था और यह सुनिश्चित किया कि उनमें से कोई संक्रमित न हो। वे सिर्फ जरूरी सामान, बच्चों का भोजन एवं दवाइयां लेने के लिए ही वनों से बाहर आते हैं। ये वनवासी पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों समेत बाहरी लोगों से यह आग्रह करने से नहीं हिचकिचाते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि गांव में आने के दौरान वे वायरस के वाहक न हों। 
एदमलक्कुडी आदिवासी पंचायत क्षेत्र दक्षिणी राज्य का पहला ऐसा क्षेत्र है जहां संक्रमण दर शून्य है और इसकी वजह लोगों का ‘स्व-लॉकडाउन’ है। मुथुवन समुदाय के 750 से अधिक परिवारों के करीब तीन हजार लोग इस गांव में रहते हैं। मुन्नार वन मंडल में स्थित इस दूरदराज़ के गांव में न सड़क है और न अन्य कनेक्टिविटी है लेकिन यह महामारी के खिलाफ लड़ाई में पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन गया है। 
एदमलक्कुडी के साथ ही मरायूर पंचायत के कूदलकत्तुकुदी के आदिवासियों ने भी अपने गांव को ‘स्व-लॉकडाउन’ के जरिए कोरोना वायरस से मुक्त रखने में कामयाबी हासिल की है। मरायूर से पांच किलोमीटर दूर इस पंचायत की नौ बस्तियों में मुथुवन और हिल पुलाया समुदाय के 500 परिवारों के 1,300 आदिवासी लोग रहते हैं। 
देश में कोविड-19 की पहली लहर आने पर एदमलक्कुडी की आदिवासी परिषद ‘ऊरीकूत्तम’ ने ‘स्व-लॉकडाउन’ का फैसला किया था, जबकि कूदलकत्तुकुदी के निवासियों ने इस साल अप्रैल से खुद को दुनिया से अलग कर लिया। कूदलकत्तुकुदी की ऊन्जम्पाड़ा बस्ती के 25 वर्षीय राजेश का कहना है कि सभी आयु समूह के लोग आदिवासी परिषद के ‘स्व-लॉकडाउन’ के फैसले का पालन करते हैं।
राजेश ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान वे खेती पर अधिक ध्यान दे रहे हैं जो उनकी बस्ती के निवासियों का मुख्य पेशा है।
उन्होंने कहा, “ हम हफ्ते में एक दिन, बच्चों का भोजन, दवाई और अन्य जरूरी सामान लेने के लिए (पहाड़ों से) नीचे जाते हैं, ज्यादातर शनिवार को।” आपात स्थिति में जरूरी सामान हासिल करने में वन अधिकारी उनकी मदद करते हैं। 
मरायूर वन रेंज के अधिकारी एम जी विनोद कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कूदलकत्तूकुदी के लोगों की अपनी बस्ती को बीमारी से मुक्त रखने की कोशिश में वन विभाग सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन लोगों को बस्ती में जाने दिया जाता है जिन्होंने कोविड रोधी टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं या जिनके पास कोविड निगेटिव प्रमाणपत्र होता है और ये नियम वन विभाग, पुलिस समेत सभी पर लागू है। जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रिया एन ने कहा कि इन गांवों से अब तक कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve − 8 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।