छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा के अबूझमाढ़ में पहली बार गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया गया। नक्सलियों के प्रभाव के चलते अभी तक यहां काले झंडे ही लहराए जाते थे। इससे पहले कभी नहीं हुआ कि गणतंत्र दिवस पर यहां तिरंगा लहराया गया हो या भारत माता की जय-जय कार हुई हो। तिरंगा फहराने के पीछे काफी पहले गांव के सरपंच की हत्या के बाद उनके बेटे के अफसर बनकर लौटने की खुशी भी जुड़ी थी। अपने सरपंच पिता की हत्या के बाद डीआरजी जवान बनकर लौटे बेटे ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां ध्वजारोहण किया।
अबूझमाढ़ इलाके में नक्सली घटनाएं आम है। नक्सली संगठन डरा-धमका कर ग्रामीणों को अपने प्रभाव में रखते है। यहां के सरपंच कोसेराम ने नक्सलियों को चुनौती देकर गांव में विकास कार्य कराने शुरू किए थे। उन्होंने राष्ट्रीय पर्व पर तिरंगा फहराने की बात कही थी, लेकिन नक्सलियों ने इससे नाराज होकर जुलाई 2018 में कोसेराम की हत्या कर दी थी। इसके बाद उनका बेटा पुलिस में भर्ती हुआ और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराकर अपने दिवंगत पिता के सपनों को सच किया।
गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रशासन ने यहां ध्वजारोहण की शुरुआत करने का निर्णय लिया। इसके तहत मंगलवार की सुबह पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव अपने जवानों के साथ इंद्रावती नदी पार बसे गांव पाहुरनार पहुंचे। गांव में सन्नाटा था। पुलिस को देखकर ग्रामीण अपने-अपने घरों में दुबक गए। अधिकारियों के अनुसार जवानों ने गांव में ध्वजारोहण की तैयारियां शुरू कर दी। जवानों को देख गांव के कुछ बच्चे भी वहां आ गए। जवानों ने उन्हें तिरंगा पकड़ा दिया। बच्चों को तिरंगा थामे देख ग्रामीण डर छोड़कर घरों से बाहर आ गए। इसके बाद गांव में भारत माता की जय के साथ तिरंगा रैली भी निकाली गई।
पाहुरनार गांव के पास इन्द्रावती नदी पर शासन एक ब्रिज भी बनवा रही है। इस ब्रिज के बनते ही इन्द्रावती के पार बसे दर्जनों गांव दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से जुड़ जाएंगे, जो असल मायने में नक्सलगढ़ में विकास की जीत होगी। आज जब एसपी इसी इन्द्रावती नदी के पास तिरंगा फहराने पहुँचे तो इस इलाके में रहने वाले ग्रामीण, महिलाएं, बच्चे संविधान के इस पवित्र पर्व में सहभागिता निभाने पहुँचे। भ्रमण के दौरान स्कूली बच्चों के ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा…’ के नारों से जंगल गूंज रहा था। कभी इसी इलाके में लाल सलाम के नारे लगते थे, मगर अब विकास के परचम के आगे लाल सलाम के नारे डूबने लगे और जन गण मन का उदय इस क्षेत्र में होने लग गया है।