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ट्रकों की हड़ताल ने तोड़ी उद्योगों की कमर

देशव्यापी ट्रकों की हड़ताल से उत्तराखंड में अब तक 900 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो चुका है व प्रदेशभर में करीब दो लाख ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं।

देहरादून : ट्रकों की बेमियादी हड़ताल के चलते औद्योगिक इकाईयों में ताले लगने शुरू हो गए हैं। ये हाल हैं कि सेलाकुई और रूद्रपुर में आधी फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप हो गया है। इनके श्रमिकों को भी फिलहाल छुट्टी दे दी गई है और जो इकाईयां चल रहीं, उनकी कुछ दिनों में बंदी तय मानी जा रही। हड़ताल में कच्चे माल की आपूर्ति पूरी तरह ठप पड़ी है और तैयार माल का उठान नहीं हो रहा। इस चिंता के साथ उत्तराखंड इंडस्टीरियल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री प्रकाश पंत से मुलाकात की और हड़ताल शीघ्र खुलवाने की मांग की।

20 जुलाई से चल रही देशव्यापी ट्रकों की हड़ताल से उत्तराखंड में अब तक 900 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो चुका है व प्रदेशभर में करीब दो लाख ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं। हड़ताल का असर अब खाद्य सामग्री की आपूर्ति पर भी दिखने लगा है। आलू, प्याज और सेब की आवक में तेजी से कमी आई है। ऐसे में इनके महंगा होने का अंदेशा भी बढ़ गया है। बीते सात दिन से चल रही हड़ताल में अभी तक फर्नीचर, कपड़े, लोहे, लकड़ी व ईंट आदि वस्तुओं के कारोबार पर असर दिख रहा था लेकिन अब फल व सब्जियों पर भी असर दिखने लगा। इस हड़ताल में यूं तो जरूरी सेवाओं को छूट दी हुई है, लेकिन अब ट्रांसपोर्टरों ने आवश्यक सेवाओं के माल की आपूर्ति भी बंद करने की चेतावनी दे दी है।

केंद्रीय मंत्री से मिलेंगे व्यापारी ट्रांसपोर्ट हड़ताल से हुए हलकान

आलू, प्याज व सेब की आपूर्ति प्रभावित हुई है। राज्य में आलू भी अलग-अलग जगह से आता है और प्याज नासिक से आती है। इसके अलावा मंडी समिति पटेलनगर में ट्रकों के पहिए थमने से मंडी शुल्क में भारी घाटा हो रहा। आढ़ती भी अब तक बैकलॉग से काम चला रहे थे, मगर यह भी अब खत्म होने को है। वहीं, ट्रांसपोर्टर चौधरी उमेश अहलूवालिया ने बताया कि हड़ताल जारी रखने का एलान किया गया है। केंद्र अभी तक वार्ता को तैयार नहीं है। ऐसे में वे भी पीछे नहीं हटेंगे। बता दें कि केंद्र सरकार के नए रोड सेफ्टी बिल के कुछ प्रस्तावों को लेकर ट्रक आपरेटर्स नाराज हैं।

वहीं, उत्तराखंड इंडस्टीरियल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मारवाह ने वित्त मंत्री से मुलाकात में बताया कि ट्रकों के पहिए थमने से औद्योगिक इकाइयां बंद होने की कगार पर हैं। हजारों श्रमिक काम के बगैर बैठे हैं और ऐसे में कंपनियां भी उन्हें वेतन देने को तैयार नहीं। उनके घरों में रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उद्योगपतियों व कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा। मारवाह ने कहा कि अगर हड़ताल और चली तो प्रदेश की सभी औद्योगिक इकाइयां ठप पड़ जाएंगी।

– सुनील तलवाड़

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