कांग्रेस ने आयातित कोयला निर्धारित बिजली परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए समिति गठित करने के गुजरात सरकार के फैसले पर आज सवाल उठाए और आरोप लगाया कि यह कुछ चुनिन्दा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है तथा इससे कई राज्यों में उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश तथा शक्ति सिंह गोहिल ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि गुजरात सरकार की तीन जुलाई 2018 की अधिसूचना उच्चतम न्यायालय के पिछले साल के आदेश का उल्लंघन है जिसने बिजली शुल्क बढ़ाने की इच्छा रखने वाली कंपनियों को कोई राहत देने के लिए दरवाजे बंद कर दिए थे।
रमेश ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सांठगांठ वाली पूंजीवादी है और कहा, ‘‘यह सांठगांठ वाले पूंजीवाद तथा ‘सूट बूट सरकार’ का एक और उदाहरण है। यह न सिर्फ ‘सूट बूट’, बल्कि ‘सूट बूट लूट’ है।’’
उन्होंने कहा कि कदम उच्चतम न्यायालय के पिछले साल के उस आदेश का पूरी तरह उल्लंघन है जिसमें इन कंपनियों के दावे को खारिज कर दिया गया था।
रमेश ने कहा, ‘‘क्योंकि उच्चतम न्यायालय अंतिम फैसला दे चुका है, इसलिए शुल्क के संबंध में किसी अन्य तरीके से समीक्षा नहीं की जा सकती।’’
उन्होंने दावा किया कि कदम इन कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया जा रहा है। रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि नीयत साफ है। यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि न सिर्फ उनकी नीति गलत है, बल्कि इरादा भी संदेह के घेरे में है।’’
गोहिल ने आरोप लगाया कि सरकार इन कंपनियों को 88,000 करोड़ रुपये तक का फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है जिसका भार गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।