महाराष्ट्र में सियासी बवाल के बीच शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच खींचतान चल रही है। एक तरफ उद्दव ठाकरे का धड़ा है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का। अब दशहरा रैली के दौरान दोनों धड़े अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं। दादर के शिवाजी पार्क में होने वाली ये रैली शिवसेना के लिए बेहद अहम है। 1966 से शिवसेना हर साल यहां दशहरा रैली कर रही है।
दोनों गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे दशहरा रैली के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि शिवसैनिक अभी भी उनके समर्थन में हैं, लेकिन इसकी अनुमति को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उद्धव सेना की ओर से 22 अगस्त को बीएमसी को आवेदन दिया गया है। उद्धव ठाकरे के धड़े ने पांच अक्टूबर को शिवाजी पार्क में रैली आयोजित करने की अनुमति मांगी है। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि रैली के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कुछ भी हो, शिवाजी पार्क में रैली होगी। बता दें कि बीएमसी हाउस का आखिरी कार्यकाल खत्म हो गया है। अब दोबारा चुनाव होना है। कई महीनों से, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक नगर निगम के मामलों को देख रहा है।
दशहरा रैली का क्या है महत्त्व?
उद्धव ठाकरे की अर्जी पर बीएमसी ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसी भी खबरें हैं कि शिंदे सेना अपनी दशहरा रैली करने की योजना बना रही है। दोनों ही धड़े इस रैली की अहमियत जानते हैं। यह साल की सबसे महत्वपूर्ण घटना है। 30 अक्टूबर 196 को पहली बार शिवाजी पार्क में ही इस रैली का आयोजन किया गया था। इसका मकसद पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए साल का एजेंडा तय करना था। इस रैली में राज्य के हर क्षेत्र से कार्यकर्ता पहुंचे थे। बालासाहेब साल भर की योजना के बारे में यहां भाषण देते थे।
1991 में दशहरा रैली में ही बालासाहेब ने पाकिस्तान के साथ मैच का विरोध किया था। इसके बाद ही शिवसेना कार्यकर्ताओं ने वानखेड़े स्टेडियम की पिच खोदी, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच होना था। वहीं साल 2010 की रैली में उद्धव ठाकरे ने इस रैली में अपने बेटे आदित्य ठाकरे को लॉन्च किया था।
जब नहीं हो सकी थी दशहरा रैली
अपने पिता की मृत्यु के बाद उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की बागडोर संभाली। वह 2013 से शिवाजी पार्क में इस रैली का आयोजन कर रहे हैं। 2015 में उन्होंने हिंदुत्व को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था, जिसके बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरियां आ गई थीं। 1966 के बाद कुछ ऐसे मौके आए जब इस रैली का आयोजन नहीं किया जा सका। 2006 में भारी बारिश और 2009 में विधानसभा चुनाव के कारण दशहरा रैली नहीं हुई थी। वहीं 2020 में कोविड महामारी के चलते यह रैली वर्चुअल तरीके से हुई। 2021 में यह संमुखानंद हॉल में आयोजित किया गया था।