सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर 17 अगस्त को सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया जिसमें वेदांता समूह को तूतीकोरिन स्थित उसके बंद हो चुके स्टरलाइट कॉपर संयंत्र के प्रशासनिक ब्लॉक तक जाने की अनुमति देने के एनजीटी के आदेश को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने राज्य सरकार की दलील पर विचार किया और याचिका पर सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नौ अगस्त को खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता को स्टरलाइट कॉपर संयंत्र के भीतर उसकी प्रशासनिक ईकाई तक जाने की अनुमति देते हुए कहा था कि प्रशासनिक ब्लॉक तक जाने की अनुमति देने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
एनजीटी ने साथ ही कहा था कि संयंत्र बंद रहेगा और कंपनी को उसकी उत्पादन ईकाई तक जाने की अनुमति नहीं है तथा उसने जिला मजिस्ट्रेट को आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। वहीं तमिलनाडु सरकार ने 28 मई को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयंत्र को सील करने तथा ‘‘स्थायी रूप से’’ बंद करने का आदेश दिया था। प्रदूषण की चिंताओं को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद सरकार ने यह आदेश दिया था। तूतीकोरिन स्टरलाइट संयंत्र मार्च 2013 में उस समय सुर्खियों में आया था जब उसमें गैस लीक होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य बीमार हुए थे। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने इसे बंद करने के आदेश दिए थे। कंपनी ने एनजीटी में अपील की थी जिसने सरकार का आदेश पलट दिया था।
इसके बाद राज्य इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और मामला अब भी लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण को दूषित करने के लिए कंपनी को 100 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। ताजा प्रदर्शनों और पुलिस की गोलीबारी के बाद संयंत्र 27 मार्च को बंद कर दिया गया। तूतीकोरिन स्टरलाइट संयंत्र का विस्तार करने की योजना की जैसे ही घोषणा हुई उसके बाद आसपास के गांववालों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए और 100 दिन तक प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों ने 22 मई को हिंसक रूप ले लिया जब प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी में 13 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए।