उत्तराखंड में एनटीपीसी की बाढ़ प्रभावित तपोवन सुरंग में भरे पानी को बचावकर्मियों ने बाहर निकाला। सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद से यहां फंसे लोगों को निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य जारी है, लेकिन सुरंग में पानी इकट्ठा होने से इसमें बाधा उत्पन्न हो रही है।
वहीं, आईटीबीपी और डीआरडीओ की संयुक्त टीम बुधवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ऊंचाई वाली कृत्रिम झील पर पहुंची, जिसके हाल ही में आई बाढ़ के बाद बन जाने की आशंका है। एनडीआरएफ के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि सुरंग में कीचड़ साफ करने का काम मंगलवार की शाम से अस्थायी रूप से रोका गया है।
एनटीपीसी द्वारा उपलब्ध कराए गए सबमर्सिबल पंपों की मदद से पानी को बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा, ‘‘जेसीबी से गीले मलबे को हटाना मुश्किल है। इसलिए सुरंग के अंदर जमा पानी को बाहर निकालने के बाद ही इसे दोबारा साफ करने का निर्णय लिया गया।’’
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट एपी सिंह ने कहा कि पानी निकालने के बाद अपराह्र 3.15 बजे मलबा हटाने का काम फिर से शुरू हुआ। तिवारी ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी चुनौती कीचड़ को हटाना है क्योंकि हम सुरंग के अंदर मलबे को साफ़ करते हुए आगे बढ़ते हैं।’’
आईटीबीपी और डीआरडीओ की संयुक्त टीम बुधवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ऊंचाई वाली कृत्रिम झील पर पहुंची, जिसके हाल ही में आई बाढ़ के बाद निर्माण होने का संदेह है। अधिकारियों ने कहा कि झील मुरेन्दा नामक स्थान पर बनी है, जो कि रैणी गांव से लगभग 5-6 घंटे की ऊंचाई पर है।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने कहा, ‘‘यह पहली टीम है जो ‘ग्राउंड जीरो’ पर झील तक पहुंची है। आईटीबीपी और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के कर्मी हाल ही में आई बाढ़ के कारण बनी इस कृत्रिम झील से उत्पन्न किसी भी संभावित खतरे का विश्लेषण करेंगे।’’ इससे पहले, झील का एक हवाई दृश्य हेलीकॉप्टर और उपग्रह तस्वीरों के माध्यम से लिया गया था। गौरतलब है कि अब तक तपोवन में एक सुरंग से 11 शव समेत 58 शव बरामद किये गये है जबकि 146 लोग लापता है।