देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और राहत देने से इनकार करते हुए मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि उसने पिछले साल ही पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट पर लगने वाले उपकर में कटौती कर दी थी। राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। सदन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश द्वारा कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से बेतहाशा मंहगाई का मुद्दा उठाया गया था। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने इसका जवाब देते हुये कहा कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही 21 मई 2017 को वैट पर लगने वाले उपकर को पांच प्रतिशत कम कर दिया था।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही राज्य सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट पर उपकर की अधिकतम सीमा भी निर्धारित कर दी थी जिससे जनता पर ज्यादा बोझ न पडे। उन्होंने उपकर लगाने के लिए पूर्ववर्ती सरकार को भी घेरा। उन्होंने सदन में आंकडे रखते हुए कहा कि संप्रग सरकार के दस साल के कार्यकाल में पैट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग दोगुनी हो गयीं थी जबकि वर्तमान केंद्र सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल में पैट्रोल में केवल 4.40 रुपये और डीजल में करीब छह रूपये प्रति लीटर की ही वृद्धि हुई है।
पंत ने यह भी दावा किया कि राज्य में खाद्यान्न और अन्य जरूरी चीजें अन्य स्थानों की अपेक्षा काफी सस्ती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस मुददे को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि रसोई गैस जीएसटी की दायरे में आ गयी है जबकि पैट्रोल और डीजल के दामों को नियंत्रण में रखने के लिए उन्हें भी जीएसटी में लाने का प्रयास हो रहा है। पंत के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस सदस्यों ने सदन से बहिगर्मन कर दिया।