उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा को लेकर अपने फैसले पर यू-टर्न लेते हुए अगले आदेश तक रोक लगा दी है। राज्य सरकार चारधाम यात्रा से सम्बंधित संशोधित एसओपी जारी की है। सरकार ने हाई कोर्ट की रोक के बावजूद चारधाम यात्रा एक जुलाई से शुरू करने का फैसला लिया था।
इससे पहले सोमवार को हाई कोर्ट ने राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को पलटते हुए स्थानीय निवासियों के लिए एक जुलाई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में 25 जून को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में एक जुलाई से उन जिलों के निवासियों को मंदिरों के दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया था जहां वे स्थित हैं।
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चमोली जिले के निवासियों को बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले के निवासियों को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के दर्शन की अनुमति दी गई थी। यात्रा के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह कुंभ मेले के दौरान जारी की गयी एसओपी की प्रतिलिपि भर है।
हाई कोर्ट ने हालांकि, तीर्थ स्थलों से जुड़ी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट से मंदिरों में चल रहीं रस्मों और समारोहों का देशभर में सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था करने को कहा। राज्य सरकार की इस आपत्ति पर कि इन रस्मों का प्रसारण धार्मिक कारणों के चलते सही नहीं होगा, कोर्ट ने कहा कि वह पुजारियों की भावनाओं के प्रति सहानुभूति रखती है।
कोर्ट ने कहा, ‘‘फिर भी यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जब शास्त्र लिखे गए, उस समय महत्वपूर्ण घटनाओं के प्रसारण के लिए टेलीविजन जैसी तकनीक नहीं थी।’’ इसने यह भी कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कुछ लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने के बजाय कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप से सबको बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत मैनाली ने बताया कि अब यात्रा के लिए किसी को भी भौतिक रूप से जाने की अनुमति नहीं होगी। उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश और पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर सुनवाई में वर्चुअल रूप से पेश हुए।