उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ी राहत देते हुए राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित सरकारी बंगलों का किराया देने से छूट देने वाले अध्यादेश को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के अंदर सरकारी बंगलों का किराया बाजार भाव पर अदा करने के तीन मई के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर इस अध्यादेश को राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए बडी राहत माना जा रहा है।
उच्च न्यायालय द्वारा ऐसी सुविधाओं को ‘गैर कानूनी और असंवैधानिक’ करार दिये जाने के बाद प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगलों को खाली कर चुके हैं। हांलांकि, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने किराया वसूले जाने संबंधी आदेश पर अदालत से पुनर्विचार की प्रार्थना की थी ।
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पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोशियारी और विजय बहुगुणा ने अदालत में दी अपनी अर्जी में अधिकारियों द्वारा किराये की गणना किये जाने के तरीके से इत्तेफाक नहीं जताते हुए वसूली जाने वाली राशि को तकनीकी आधार पर दोषपूर्ण बताया था । पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों, कोशियारी, एन डी तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी और विजय बहुगुणा पर 13 करोड रू से ज्यादा राशि देय थी।
उच्च न्यायालय ने हांलांकि, उन्हें कोई राहत देने से इंकार कर दिया लेकिन राज्य सरकार पिछले माह इस संबंध में एक अध्यादेश ले आयी और इसके जरिये पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवासों में रहने के दौरान सभी प्रकार के भुगतान से छूट दे दी जिसे अब राज्यपाल की सहमति मिल गयी है ।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय का पूर्व मुख्यमंत्रियों के संबंध में यह फैसला जाने माने समाजसेवी पद्मश्री अवधेश कौशल द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया था । याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार का यह अध्यादेश जनहित के खिलाफ है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जायेगी ।