उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा को लेकर बुधवार को राज्य सरकार की जबर्दस्त खिंचाई की और चारधाम यात्रा पर विचार कर 28 जून तक अदालत को बताने को कहा है। यही नहीं अदालत ने कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर तैयारियों को लेकर भी स्वास्थ्य महकमे से सात जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने ये निर्देश कोरोना महामारी को लेकर सचिदानंद डबराल और अन्य आधे दर्जन से अधिक जनहित याचिकाओं की सुनवाई के बाद दिए हैं। इस दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश, स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी व संयुक्त सचिव पर्यटन डॉ आशीष चौहान अदालत में पेश हुए।
अदालत ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर राज्यों को आगाह कर चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट को अधिक तीव, व खतरनाक माना जा रहा है और आशंका है कि कोरोना की तीसरी लहर अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में दस्तक दे सकती है।
अदालत ने यह भी कहा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल में सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र के दो जिले इसकी चपेट में आ चुके हैं। अदालत ने आगे कहा कि हरिद्वार महाकुंभ का उदाहरण हमारे सामने है। महाकुंभ के बाद देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रसार तेजी से हुआ है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान गंगा दशहरा और नैनीताल के नीम करौली धाम का उदाहरण भी दिया। अदालत ने कहा कि हाल ही में सम्पनन गंगा दशहरा के मौके पर हरिद्वार में एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस दौरान कोविड महामारी को लेकर जारी मानकों का खुल्लमखुला उल्लंघन किया गया। हर की पौड़ी पर एकत्र भीड़ ने न तो सामाजिक दूरी व न ही मास्क का पालन किया। पुलिस प्रशासन भीड़ को नियंत्रित करने में नाकाम रहा। नीम करौली धाम में भी मंगलवार को कपाट खुलने के मौके पर हजारों श्रद्धालु एकत्र हो गए और यहां भी मानकों का पालन नहीं किया गया।
अदालत ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों के जीवन को खतरा हो सकता है। ऐसे में अदालत ने चिंता व्यक्त करते हुए बच्चों का नुकसान न केवल माता पिता का नुकसान है बल्कि इसमें देश का नुकसान है। ऐसे में अदालत ने राज्य सरकार के चारधाम यात्रा की अनुमति पर सवाल उठाए।
हालांकि मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने अदालत को बताया कि वह अदालत की चिंता को कैबिनेट के सामने रखेंगे और चारधाम यात्रा पर विचार करेंगे। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को भी कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचागत विकास को लेकर सात जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
अदालत ने सरकार की कोरोना डेथ आडिट रिपोर्ट पर सवाल उठाये हैं। अदालत ने अल्मोड़ा मुख्य चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि अकिकांश मामलों में लोगों की मृत्यृ हृदयगति रूकने से हुई है। अदालत ने तीसरी लहर के मद्देनजर ग्रामीण स्तर पर मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।