उत्तराखंड के चमोली जिले में प्रलयंकारी बाढ़ लाने वाली ऋषिगंगा नदी पर बन रही एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड तथा एक अन्य जलविद्युत परियोजना को मिली वन एवं पर्यावरण मंजूरी रद्द करने की प्रार्थना वाली जनहित याचिका उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है।
नैनीताल स्थित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को जनहित याचिका खारिज करते हुए पांचों याचिकाकर्ताओं पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। एनटीपीसी के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया, ‘‘याचिकाकर्ताओं की ईमानदारी और इरादों से आश्वस्त न होते हुए अदालत ने टिप्पणी की कि दूसरों के कामों में बाधा पहुंचाने वालों की शिकायतों पर विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऐसी परियोजनाओं को नहीं रोका जा सकता।’’
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी ईमानदारी दिखाने में विफल रहे हैं और ऐसी याचिका दायर करने वाले सभी पांचों याचिकाकर्ताओं पर दस-दस हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया। एनटीपीसी की ओर से अदालत में अपनी दलील में गुप्ता ने कहा कि तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना उत्ताराखंड के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि एनटीपीसी हमेशा सभी पर्यावरणीय मंजूरियां लेकर काम करती है और वह पहाड़ों के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष सात फरवरी को चमोली की ऋषिगंगा नदी में आई बाढ़ में 204 लोग लापता हो गए थे जिनमें से अब तक 83 शव और 36 मानव अंग बरामद हो चुके हैं।