मिलनाडु सरकार ने तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को चार महीनों के लिए ऑक्सीजन प्रोडक्शन की अनुमति दे दी है। सोमवार को मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में इस पर सहमति बनाई गई। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि स्टरलाइट इंडस्ट्रीज कॉपर या किसी दूसरी चीजों के उत्पादन में शामिल नहीं हो सकती। प्रदूषण की चिंताओं को लेकर मई 2018 में राज्य सरकार ने इस यूनिट को सील कर दिया था।
स्टरलाइट कॉपर ने हाल में तमिलनाडु सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए 1,000 टन प्रतिदिन क्षमता वाले प्लांट को खोलने की अनुमति मांगी थी। कंपनी के पास तूतीकोरिन में बड़े ऑक्सीजन प्लाटों में से एक है. स्टरलाइट प्लांट के खिलाफ 2018 में स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 13 लोगों की मौत के कुछ दिनों बाद राज्य सरकार ने इसे बंद करवा दिया था।
सोमवार को मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कंपनी के अनुरोध पर सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके और अन्य दलों के नेता भी मौजूद थे। मीटिंग में लिए गए फैसले के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, तूतीकोरिन में वेदांता की स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को मरम्मत कार्य और ऑक्सीजन उत्पादन और उससे जुड़े कार्यों के लिए 4 महीने की बिजली आपूर्ति की जा सकती है। ”
मीटिंग में यह भी फैसला लिया गया है कि यह समयसीमा बाद में बढ़ाई भी जा सकती है लेकिन किसी भी कीमत पर प्लांट में कॉपर उत्पादन या दूसरी गतिविधियों को नहीं चलाया जा सकता है. यहां होने वाले ऑक्सीजन उत्पादन में तमिलनाडु को प्राथमिकता मिलनी चाहिए और दूसरे राज्यों को यहां की जरूरतें पूरी होने के बाद ही भेजा सकेगा।
इससे पहले वेदांता ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर अपनी कॉपर यूनिट में मरम्मत कार्य करने और ऑक्सीजन प्लांट को दोबारा शुरू करने की अनुमति मांगी थी। जिस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे समय में जब देश को ऑक्सीजन की जरूरत है, कानून का हवाला देकर समस्या को और नहीं बढ़ाया जा सकता है. कंपनी ने कोर्ट में कहा था कि प्लांट से हजारों टन ऑक्सीजन उत्पादन कर सकता है. कंपनी ने देश में मुफ्त मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई करने की बात भी कही थी।