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उपराष्ट्रपति ने युवाओं से की नकारात्मकता छोड़ अहिंसा को बढ़ावा देने की अपील

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि समय की जरूरत है कि युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल रचनात्मक, राष्ट्रनिर्माण गतिविधियों में किया जाए।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को गोवा यूनिवर्सिटी के 32वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं से नकारात्मकता छोड़ने और अहिंसा को बढ़ावा देने की अपील की। समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को अपनी राय बनाने से पहले संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), ट्रिपल तलाक पर रोक सहित सभी मुद्दों का ‘‘अकादमिक अध्ययन’’ करना चाहिए। 
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘‘मैं इस बात को लेकर प्रसन्न हूं कि हाल के समय में लोग संविधान के महत्व के बारे में बातें कर रहे हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है और प्रत्येक नागरिक को संविधान का पालन करना चाहिए।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि साथ ही सभी को अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संवैधानिक तरीके अपनाने चाहिए। 
उन्होंने कहा, ‘‘हमें न केवल मौलिक अधिकारों बल्कि कर्तव्यों के बारे में भी चिंतित होना चाहिए। अधिकार और जिम्मेदारियां साथ-साथ चलनी चाहिए।’’ नायडू ने कहा कि समय की जरूरत है कि युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल रचनात्मक, राष्ट्रनिर्माण गतिविधियों में किया जाए। उन्होंने किसी विशेष घटना का उल्लेख किये बिना कहा, ‘‘युवाओं को मेरी सलाह है कि वे नकारात्मकता छोड़ें और हिंसा को बढ़ावा नहीं दें। एक लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।’’ 

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उन्होंने कहा कि सकारात्मक बनें, बाधक नहीं। उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने किसी देश या मुद्दे का उल्लेख किये बिना कहा, ‘‘दिक्कतें उत्पन्न करने वाले हमारे कुछ पड़ोसी हमें सलाह देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें हमारे आंतरिक मामलों में नहीं पड़ना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपको प्रगति चाहिए तो आपको शांति चाहिए। भारत के आंतरिक मामलों में हम बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकते। 
हम अपनी देखभाल कर सकते हैं, आपका धन्यवाद।’’ उन्होंने युवाओं से अपील की कि अपनी राय बनाने से पहले उन्हें अनुच्छेद 370 (जम्मू कश्मीर में समाप्त करने), संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), तीन तलाक पर रोक सहित सभी मुद्दों का अकादमिक अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘केवल समाचार पत्रों और शीर्षकों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। सोशल मीडिया का लाभ उठायें।’’ 
नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान बढ़ना दुनिया के समक्ष आज दो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं और सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रति अपने प्रयास तेज करने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक नये भारत के निर्माण के लिए निरक्षरता, बीमारियों, कृषि क्षेत्र में चुनौतियों और महिलाओं और कमजोर वर्गों पर अत्याचार जैसी सामाजिक बुराइयों, बाल श्रम, आतंकवाद, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार का उन्मूलन करना होगा। 
इस मौके पर राज्यपाल एवं गोवा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यपाल मलिक और राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी मौजूद थे। 

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