पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने का प्रस्ताव आज पारित कर दिया। राज्य को इस प्रस्ताव पर अब केंद्रीय गृह मंत्रालय की अंतिम मंजूरी का इंतजार करना होगा।
इस कदम का उद्देश्य राज्य के नामों की वर्णमाला के अनुक्रम में पश्चिम बंगाल को ऊपर लाना है । फिलहाल पश्चिम बंगाल सूची में आखिर में दिखाई देता है।
प्रस्ताव के अनुसार , अब तीन भाषाओं … बंगाली , अंग्रेजी और हिन्दी में राज्य का नाम ‘ बांग्ला ’ होगा। इससे पूर्व केन्द्र ने राज्य सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें बंगाली भाषा में राज्य का नाम बांग्ला , अंग्रेजी में बेंगाल और हिन्दी में बंगाल करने की बात कही गई थी।
केन्द्र ने वर्ष 2011 में भी ममता बनर्जी सरकार के , राज्य का नाम बदलकर ‘‘ पश्चिम बंगो ’ किये जाने संबंधी प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। मुख्यमंत्री बनर्जी ने विधानसभा को बताया ,‘‘ नाम परिवर्तन पर कई बार विस्तृत चर्चा हुई। अंतिम बार 29 अगस्त , 2016 को विचार – विमर्श हुआ था। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने दो वर्षों तक नाम परिवर्तन के हमारे प्रस्ताव पर कोई कार्यवाही नहीं की। ’’
मुख्यमंत्री ने कहा ,‘‘ गृह मंत्रालय ने हमें बताया कि तीन नाम मंजूर नहीं किये जा सकते है और हमें हमारे राज्य के लिए कोई एक नाम चुनना होगा और विधानसभा में एक अन्य प्रस्ताव पारित करना होगा। ’’
उन्होंने कहा कि ‘ बांग्ला ’ नाम इसलिए चुना गया क्योंकि ‘‘ यह बंगाल की पहचान है। ’’ उन्होंने कहा ,‘‘ हम बंगाल नहीं कह सकते क्योंकि गैर हिन्दी भाषी लोगों के लिए यह एक समस्या होगी। ’’
उन्होंने कहा ,‘‘ कई राज्यों ने नाम को बदला है। वाममोर्चा के शासन के दौरान राज्य का नाम बदलने के बारे में बात हो रही थी। हमने इससे पहले भी निर्णय लिया था। मैं किसी विवाद में नहीं जाना चाहती हूं। बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि आइयें सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया जाये और इसे केन्द्र की मंजूरी के लिए भेजा जाये। ’’
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्था चटर्जी ने सदन में प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। सदन में मौजूद भाजपा सदस्य दिलीप घोष ने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।