भाजपा ने अपनी पश्चिम बंगाल इकाई से राज्यपाल और ममता सरकार के बीच वाक्युद्ध पर टिप्पणी करने से परहेज करने के लिये कहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक आम धारणा बन गई है कि राज्यपाल और भाजपा अपने-अपने बयानों के माध्यम से एक दूसरे के ‘पूरक’ हो गए हैं।
भाजपा नेता ने कहा पार्टी आलाकमान की ओर से राज्य के नेतृत्व को मौखिक तौर पर इस संबंध में निर्देश दिये गए हैं। उन्होंने कहा, “केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से हमें राज्यपाल और ममता सरकार के बीच जुबानी जंग पर टिप्पणी करने से बचने के लिये कहा गया है। लिहाजा, हमारी राज्य इकाई का कोई भी नेता इस वाक्युद्ध पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा।”
पार्टी सूत्रों के अनुसार यह कदम उन आरोपों को दरकिनार करने के लिये उठाया गया है कि भाजपा राज्य सरकार को ‘तंग’ करने के लिये राज्यपाल का इस्तेमाल कर रही है। सूत्रों ने कहा, “जब भी राज्य सरकार और राजभवन के बीच जुबानी जंग होती है तो हमें जाहिर तौर पर राज्यपाल के पक्ष में बोलना होता है, चाहे वह मौजूदा राज्यपाल जगदीप धनखड़ हों या उनके पूर्ववर्ती के एन त्रिपाठी हों।”
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धनखड़ और तृणमूल कांग्रेस सरकार से बीच टकराव सोमवार को संसद पहुंच गया जब टीएमसी के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने राज्यपाल पर अपने कामकाज के दायरे से बाहर हस्तक्षेप करने और राज्य में एक समानांतर प्रशासन चलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा, “ऐसी धारणा बन गई है कि राज्यपाल और भाजपा अपने-अपने बयानों के माध्यम से एक दूसरे के पूरक हो गए हैं। इससे गलत संदेश जा रहा है। हमें इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से परहेज करने के लिए कहा गया है।”
सांसद सुदीप बंदोपाध्याय के नेतृत्व वाले टीएमसी संसदीय दल ने रविवार को राज्यपाल के ‘समानांतर प्रशासन’ चलाने का मामला गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाया था। धनखड़ और राज्य सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर जुबानी जंग चल रही है, जिसमें दुर्गा पूजा महोत्सव में बैठने की जगह से लेकर राज्यपाल की गैर प्रस्तावित सिंगूर यात्रा का मुद्दा शामिल है।
ताजा विवाद राज्य सरकार द्वारा धनखड़ को हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने से इंकार किए जाने से उत्पन्न हुआ है। धनखड़ को मुर्शिदाबाद में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद शुक्रवार को शहर लौटना था।