पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के लिए हो रहे मतदान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जलपाईगुड़ी पहुंचे। बागडोगरा हवाईअड्डे पर उतर कर प्रधानमंत्री मोदी पद्म पुरस्कार विजेता करीमुल हक से मुलाकात करते हुए उन्हें गले लगाया। समाज सेवा करने वाले करीमुल को बंगाल में ‘बाइक एम्बुलेंस दादा’ के नाम से जाना जाता है।
कौन है करीमुल हक?
‘एम्बुलेंस दादा’ के नाम से मशहूर करीमुल जलपाईगुड़ी के जिले के माल प्रखंड के राजाडांगा ग्राम पंचायत अंतर्गत धलाबाड़ी गांव के निवासी हैं। उन्होंने अपनी बाइक एंबुलेंस से अब तक 4000 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है। वह अपने आस-पास के दर्जनों गांवों के गरीब जरूरतमंदों को पिछले दशक भर से भी ज्यादा समय से वह निःशुल्क बाइक एंबुलेंस सेवा देते आ रहे हैं।
उनके घर में ही निःशुल्क क्लीनिक भी चलता है, जहां लोगों की कुछ स्वास्थ जांच भी हो जाती है और दवाएं भी मिल जाती हैं। इसके अलावा यहां-वहां से जुटा कर नए-पुराने कपड़े, दाना-पानी, किताब-कलम व कॉपी आदि से भी वह जरूरतमंदों की सेवा करते रहते हैं।
‘एंबुलेंस दादा’ पर लिखी जा चुकी है किताब
करीमुल की जिंदगी की कहानी कई लोगों को प्रेरित कर सके इसके लिए एक किताब भी लिखी जा चुकी है। जिसका नाम है- ‘बाइक एम्बुलेंस दादा, द इंस्पायरिंग स्टोरी ऑफ करीमुल हक: द मैन हू सेव्ड 4000 लाइव्स’। यह इनकी ऐधिकारिक बायोग्राफी है। जिसके लेखक बिस्वजीत झा है।
एम्बुलेंस दादा बनने के पीछे की कहानी
बता दें कि करीमुल हक ने करीब 26 साल पहले एम्बुलेंस का खर्चा नहीं उठा पाने के कारण अपनी मां को खो दिया था। उस समय उनकी बीमार मां को अस्पताल ले जाने का कोई और साधन नहीं था। लेकिन जब हक के एक सहकर्मी की तबीयत खराब हुई तो उन्होंने इतिहास को खुद को दोहराने नहीं दिया।