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मुसलमानों का हिमायती कौन? कांग्रेस-AAP को हैदराबादी भाईजान का डर! जानें कैसे बदला चुनावी समीकरण

गुजरात विधानसभा चुनाव की नजदीकियों के बीच मुस्लिम वोटों की अहमियत पर चर्चा शुरू हो गई हैं। मुस्लिम वोटों पर एकाधिकार रखने वाली कांग्रेस डर के साए में है।

गुजरात विधानसभा चुनाव की नजदीकियों के बीच मुस्लिम वोटों की अहमियत पर चर्चा शुरू हो गई हैं। मुस्लिम वोटों पर एकाधिकार रखने वाली कांग्रेस डर के साए में है। इसका मुख्य कारण दिल्ली में मुस्लिमों की पहली पसंद आम आदमी पार्टी की आगामी चुनाव में एंट्री हैं। आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी में मस्जिद के इमामों को मासिक वेतन देकर तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय के बीच अपनी पैठ बना चुके हैं। माना जाता है कि  इमामों का मुस्लिम समुदाय पर खासा प्रभाव होता हैं। सूत्रों की माने तो केजरीवाल गुप्त तरीके से मुस्लिमों को अपने पाले में करने का पुरजोर प्रयास कर रहे है।   
हिंदुत्व के मुद्दे पर फोकस
गुप्त तरीके से इसलिए क्योंकि गुजरात में आम आदमी पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर फोकस करती नजर आ रही है। बीते दिनों आप प्रमुख केजरीवाल नोट पर लक्ष्मी गणेश की फोटो की मांग से लेकर नोट पर लक्ष्मी गणेश की फोटो की मांग से लेकर यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते नजर आए थे। आपको बता दें कि गुजरात में अब तक आप ने केवल 2 मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा है। आप-कांग्रेस की  लड़ाई में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM कूद चुकी है। खुद को मुस्लिम का हितैषी बताने वाले ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों को हथियाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है। उल्लेखनीय है कि गुजरात की जनसंख्या में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है।
भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच मुकाबला
गुजरात को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माना जाता है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, कांग्रेस इसी वजह से राज्य में मुस्लिम समुदाय को खासा प्रतिनिधित्व देने से बचती रही है। माना जा रहा है कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी के बनाए राह पर केजरीवाल भी चल रहे है। ऐसे में ओवैसी के लिए यह सुनहरा मौका हो सकता है। बता दें कि राज्य की 182 सीटों के लिए मतदान दो चरणों में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को होंगे और नतीजे 8 दिसंबर को घोषित होंगे। गुजरात में मुख्य रूप से भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच मुकाबला होना है। 

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