महाराष्ट्र की सियासत से बेदखल हुए उद्धव ठाकरे अब नया दामन थामने जा रहे हैं और वह दामन है बाबासाहेब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर का। उद्धव ठाकरे ने प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी के साथ हाथ मिला लिया है, बीएमसी चुनाव में प्रकाश आंबेडकर, शिवसेना के साथ मिलकर लड़ेंगे। 2024 में लोकसभा और नवंबर 2024 में विधानसभा चुनाव है... महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने और शिवसेना के दो दलों में बंट जाने के बाद उद्धव ठाकरे के लिए बीएमसी को बचाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है, ऐसे में प्रकाश आंबेडकर उनकी अच्छी खासी मदद कर सकते हैं।
एक तरफ शिवसेना का उद्धव गुट है, तो वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट है, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सांसद, विधायक और शिवसैनिक उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ कर जा चुके हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे को ऐसा जोड़ीदार चाहिए था जो उन्हें सियासी मजबूती दे सकें। इसी के मद्देनजर उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने नीतीश कुमार तेजस्वी यादव से मुलाकात कर उत्तर भारतीय वोटों को अपने कब्जे में लेने का दाव चल दिया है। ऐसे में दोनों दलों की दोस्ती को शिव शक्ति और भीम शक्ति गठबंधन का नाम दिया जा रहा है।
उद्धव गुट की शिवसेना जहां हिंदुत्व की राजनीति करने के लिए जानी जाती है, तो वहीं प्रकाश अंबेडकर सेकुलर और दलित राजनीति करते हैं। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी, तभी उद्धव ठाकरे ने यह कह दिया था कि अब हिंदुत्व की राजनीति तो करेंगे लेकिन सत्ता में रहने के लिए सेकुलर राजनीति का भी साथ ले सकते हैं और वही अब दिखाई दे रहा है।
अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के लिए यह गठबंधन समस्या खड़ी कर सकता है? तो आपको बता दें कि वंचित बहुजन आघाडी के उद्धव ठाकरे के साथ आने से महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी जरूर होगी। महाराष्ट्र में अगर ओबीसी, मराठा और दलित समुदाय का बड़ा तबका एक साथ महा विकास आघाडी के साथ जुड़ जाता है तो यह बीजेपी-एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गठबंधन के सामने कड़ी चुनौती पेश करेगा।