हरिद्वार : पांचवे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पतंजलि के साथ पूरे विश्व ने योग का लाभ लिया। इस अवसर पर पतंजलि की विविध इकाईयों में योग दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां समस्त इकाईयों के अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, छात्र-छात्राओं, वानप्रस्थियों तथा आजीवन सेवाव्रती भाई-बहनों ने अपनी सहभागिता दर्ज करायी। पतंजलि योगपीठ-2 में आयोजित कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कॉमन योग प्रोटोकॉल के तहत योगसत्र का आरम्भ किया गया।
प्रार्थना के पश्चात् सत्र की शुरुआत ग्रीवा संचालन, घुटनों तथा कंधों के सूक्ष्म व्यायाम से हुई। इसके उपरान्त खड़े होकर करने वाले आसनों में कोणासन, ताड़ासन का अभ्यास कराते हुए डॉ. त्यागी ने बताया कि इन आसनों से बच्चों की लम्बाई बढ़ती है, रीढ़ की हड्डी सुदृढ़ रहती है तथा सम्पूर्ण शरीर को स्थायित्व मिलता है। वृक्षासन से न्यूरो-पेशी समन्वय में सुधार होता है, शारीरिक संतुलन और सतर्कता में वृद्धि होती है, पैर की मांसपेशियाँ टोन होती हैं तथा यह अस्थिबंधकों के लिए लाभकारी है।
कार्यक्रम के समापन उद्बोधन में मुख्य महाप्रबंधक (ट्रस्ट) ललित मोहन ने योग साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि योग भारत की प्राच्य ऋषि परम्परा की अनुपम भेंट है। इससे मनुष्य का न केवल शारीरिक, मानसिक अपितु सर्वांगीण विकास होता है। योग मात्र व्यायाम नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। योग के नियमित अभ्यास से मनोदैहिक रोगों का समाधान स्वतः ही हो जाता है। आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में तनाव, अवसाद व रोगी काया सामान्य सी बात है। इन सब व्याधियों से निजात पाने का एकमात्र साधन योग ही है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन से विश्व में एकता व विश्वबंधुत्व की भावना विकसित होगी। पतंजलि योगपीठ-2 के योगभवन में संचालित कार्यक्रम में आचार्यकुलम् से बहन ऋतम्भरा, निदेशक एल.आर. सैनी, प्राचार्या कु. वंदना मेहता, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डी.एन. शर्मा, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. महावीर, स्वामी परमार्थदेव, बहन अंशुल, बहन पारुल आदि उपस्थित रहे।
– संजय चौहान