सुप्रीम कोर्ट ने जकिया जाफरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई सोमवार को जनवरी के तीसरे सप्ताह तक के लिए टाल दी है। जकिया ने इस याचिका में साल 2002 के गोधरा दंगों के सिलसिले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती दी है।
पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने गुजरात हाई कोर्ट की पांच अक्टूबर 2017 को दी गई उस व्यवस्था को चुनौती दी है जिसमें एसआईटी के निर्णय के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। दंगों के दौरान एहसान जाफरी मारे गए थे। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने मामले को जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम की जांच को बरकरार रखते हुए नरेंद्र मोदी समेत 58 लोगों को क्लीन चिट दे दी थी। यह याचिका जाकिया जाफरी और तीस्ता सेतलवाड़ की जस्टिस एंड पीस फाउंडेशन ने दाखिल की है जिसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी और 2002 में क्लोजर रिपोर्ट को पलटने वाले मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को आधार बनाया गया है।
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एहसान जाफरी और अन्य 68 लोगों को गुजरात दंगों के दौरान भीड़ ने हत्या कर दी थी। यह दंगे अहमदाबाद की मुस्लिम बहुल गुलबर्ग सोसायटी में 28 फरवरी 2002 को हुए थे। यह दंगे गोधरा ट्रेन नरसंहार के बाद हुए थे। इस मामलें में जाकिया की शिकायत में वर्ष 2006 में पुलिस ने मोदी, कुछ मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ केस दर्ज किया था।
दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि कुछ मुख्य दंगों की दोबारा जांच करे जिसमें गुलबर्ग सोसयटी मामला भी शामिल है। 27 अप्रैल 2009 को सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को जाकिया की शिकायत पर कार्रवाई करने को कहा। इस मामले में एसआईटी ने मोदी से मार्च 2012 में पूछताछ की और इसके एक साल बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया कि मोदी के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले।