भारत में करीब 150 मिलियन लोगों को मानसिक रोग के उपचार की जरूरत है लेकिन इनमें से 14. 8 प्रतिशत लोग ही उचित इलाज ले पाते है। अजमेर के होटल मेरवाड़ा पैलेस में चल रहे मनोचिकित्सकों की दोदिवसीय 32वीं राज साइकौन कार्यशाला में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एस एस अग्रवाल ने कहा कि 150 मिलियन लोगों में से 14 प्रतिशत लोग गंभीर डिप्रेशन के शिकार है। इसी के साथ डिप्रेशन की समस्या महिलाओं, शहरी क्षेत्र के लोगों एवं कम आयु के लोगों में अधिक पाई जा रही है।
उन्होंने इन आंकड़ों के बाद देश के सभी मनोचिकित्सकों के साथ सरकार से भी हैल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम में सुधार करने का आग्रह किया है। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि वे समाज का हिस्सा है और उन्हें भी जागरूक रहकर उसके दुख सुख मे भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने मरीज के परिजनों से भी आग्रह किया कि वे संयम बरतते हुए चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाएं और किसी भी छोटी मोटी गलती के लिए चिकित्सकों को न्यायालय में ना घसीटे।
आयोजन समिति के संयोजक डॉ। महेन्द, जैन ने बताया कि विश्व भर की कुल आबादी का बीस प्रतिशत हिस्सा डिप्रेशन का शिकार है। देश में बढ़ रही आत्महत्या की घटनाएं इसका परिचायक है और सभी को मिलकर इसकी रोकथाम के उपाय करते हुए खुशहाल की ङ्क्षजदगी जीना होगा। उन्होंने चौंकाने वाला तथ्य बताते कहा कि भारत में प्रतिवर्ष 2520 बच्चे डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर रहे है। इसमें भी पढ़ाई करने वाले बच्चों का आंकड़ा ज्यादा है जो कि तनाव के चलते गलत कदम उठा लेते है। सम्मेलन में आज दूसरे दिन डिप्रेशन के निदान संबंधी उपायों पर विशेषज्ञ चर्चा में भाग ले रहे है।