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‘आईकिडनी एप्प ‘ के जरिए मिल सकेगी किडनी फेलियर के मरीजों को किडनी

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चंडीगढ़ : किडनी फेलियर और इनकम्पैटिबल डोनर्स की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए चंडीगढ़ किडनी फाउंडेशन व किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन व यूरोलोजिस्ट डा. प्रियदर्शी रंजन एक अनूठा एप्प लेकर आए हैं, जिसके जरिए जरूरतमंद लोगों को किडनी मिलना आसान हो जाएगा। आईकिडनी या इनकम्पैटिबल किडनी एप्प को सांसद किरण खेर ने मंगलवार को चंडीगढ़ में लॉन्च किया।

इससे ना सिर्फ  क्षेत्र के बल्कि देश भर के उन किडनी फेलियर के मरीजों को लाभ पहुंचेगा जिनके पास परिवार के भीतर किडनी डोनर तो है, लेकिन बल्ड ग्रुप मैच ना होने और टिशू इनकम्पैटिबिलिटी के चलते ट्रांस्पलांट नहीं हो पा रहा है। एप्प लॉन्च करते हुए किरण खेर ने कहा कि ऐसे मरीजों के लिए ये एप्प एक वरदान से कम नहीं है क्योंकि हाल ही में मानव अंग प्रत्यारोपण कानून में संशोधन लाया गया है और इससे इस समस्या का हल और आसान हो जाएगा। ये एप्प देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपनी तरह की पहली एप्प है। किडनी फेलियर के बढ़ते मरीज़ों के मद्देनजऱ इससे जुड़े स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के संस्धानों पर भारी दवाब देखने को मिला है।

हालांकि डायालिसिस के ज़रिए ऐंन्ड स्टेड रीनल फेलियर (ईएसआरएफ) का मध्यवर्ती प्रबंधन होता रहा है लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट ज्यादातर ग्रहण करने योग्य मरीजों के लिए उपचार का प्रमुख विकल्प रहा है। डा. रंजन के मुताबिक इससे ना सिर्फ  जीवनस्तर में सुधार होता है, बल्कि जीवित रहने की संभावना भी बढ़ जाती है। डा. रंजन चंडीगढ़ किडनी फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं। डा. रंजन इनकम्पैटिबल किडनी प्रत्यारोपण के क्षेत्र में अमेरिका के जॉन्स हॉप्किन्स ट्रांसप्लांट सेंटर से प्रशिक्षित हैं।

किडनी प्रत्यारोपण के लिए दानकर्ता और प्राप्तकर्ता के ब्लड ग्रुप और टिशू का मेल खाना ज़रूरी है।  लेकिन ब्लड ग्रुप और टिशू इनकम्पैटिबिलिटी के चलते ये मुम्किन नहीं हो पाता। डा. रंजन के मुताबिक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आने वाले मरीज़ों में से 25 फीसदी को इनकम्पैटिबिलिटी के चलते ट्रांसप्लांट से महरूम रहना पड़ता हैए यानी हर चौथे किडनी ट्रांसप्लांट दानकर्ता-प्राप्तकर्ता जोड़े में इनकम्पैटिबिलिटी की समस्या मौजूद रहती है।

डा. रंजन के मुताबिक, ‘क्योंकि आजकल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जीवित रहने की दर बढ़ी है, कई मरीज हमारे पास डोनर मिसमैच की समस्या लेकर आ रहे हैं। डोनर मिसमैच की कारणों से हो सकता है, जिसमें सबसे आम है दानकर्ता और प्राप्तकर्ता का बल्ड ग्रुप अलग होना, पहले कभी खून चढ़ा हो, गर्भ या फिर पूर्व में हुए ट्रांसप्लांट। संशोधन से पहले मानव अंग प्रत्यारोपण कानून के मुताबिक सिर्फ मरीज के करीबी रिश्तेदार ही उसे अंगदान कर सकते थे। ये उन लोगों के लिए विकट समस्या थी जिनके पास डोनर तो होता था लेकिन इनकम्पैटिबिलिटी के चलते उनका ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता था। 2009 में हुए संशोधन के बाद पैयरड किडनी एक्सचेंज वैधता मिल गई है और मिलते.जुलते परिवार के डोनर से अंग प्रत्यारोपण मुम्किन हो गया है’।

ऐसे मरीज़ जो इनकम्पैटिबिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैंए वो इस एप्प को आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं और देशभऱ के सैंकड़ों मरीज़ों के डेटाबेस में से अपने समान ग्रुप वाले डोनर परिवार से संपर्क साध सकते हैं। वहीं आपका डोनर बदले में दूसरे परिवार की मदद कर सकता है।

पेयर्ड किडनी एक्सचेंज (पीकेई) ऐसे मरीजों में ट्रांसप्लांट का सबसे कारगर तरीका है। शोध बताते हैं कि दो असंबद्ध व्यक्तियों के बीच ब्लड ग्रुप इनकम्पैटिबिलिटी की संभावना 35 फीसदी है। बहरहाल,पेयर्ड किडनी एक्सचेंज जरूरतमंद मरीजों के लिए एक वरदान साबित हुआ है और इस एप्प के ज़रिए हम ऐसे लोगों की मदद कर सकते हैं’।

– अनूप कुमार

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