क्या है RSS की 'स्पेशल 65'? जानें Maharashtra Elections में कितना मिलेगा लाभ

Maharashtra Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए आरएसएस ने विशेष अभियान चलाया है। इसके तहत यह अपने 65 से ज्यादा सहयोगी संगठन के साथ मिलकर काम कर रहा है।
क्या है RSS की 'स्पेशल 65'? जानें Maharashtra Elections में कितना मिलेगा लाभ
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RSS New Mission: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तिथि बेहद करीब है। इसे लेकर जोर-शोर से प्रचार चल रहा है। राजनीतिक पार्टियां अपने मुद्दों को जनता तक पहुंचाने में कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इस चुनाव में महाराष्ट्र में सीधा मुकाबला महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच है। चुनाव में अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की एंट्री हो गई है। आरएसएस अपने 65 से भी अधिक सहयोगी संगठनों के जरिए सजग रहो नाम से अभियान चला रहा है। इस टीम को 'स्पेशल 65' कहा जा रहा। इसका मकसद विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मजबूत करने के साथ-साथ हिंदुओं को बांटने के प्रयास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करना है। आरएसएस का मानना है चुनाव के बीच इस तरह के प्रयास का असर धरातल पर जरूर दिखेगा। इससे महायूति को फायदा होगा।

हिंदुओं को बांटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना मकसद

इस टीम 'स्पेशल 65' कहा जा रहा। इसका मकसद विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मजबूत करने के साथ-साथ हिंदुओं को बांटने के प्रयास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करना है। आरएसएस का मानना है चुनाव के बीच इस तरह के प्रयास का असर धरातल पर जरूर दिखेगा। इससे महायूति को फायदा होगा।

3 राष्ट्रीय अभियान का यह नया हिस्सा

राजनीतिक जानकारों की मानें तो आरएसएस का यह अभियान महाराष्ट्र चुनाव परिणाम पर असर जरूर डालेगा। अभियान से महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन हिंदू वोट बैंक को पाले में लाने की कोशिशें तेज हो रही हैं। आरएसएस का 'सजग रहो' अभियान लोकसभा चुनाव के बाद चलाए जा रहे तीन राष्ट्रीय अभियान का सबसे नया हिस्सा है। इसे हाल में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों के बाद खासतौर पर चलाया जा रहा, जिससे हिंदुओं को जागरूक बनाया जा सके। इस तीन सूत्रीय अभियान के पहले दो सूत्र हैं-योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी 'बांटेंगे तो काटेंगे' और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी 'एक हैं तो सेफ हैं'।

किसी के खिलाफ नहीं यह अभियान

सूत्रों के अनुसार 'सजर रहो' अभियान किसी के भी खिलाफ नहीं है। इसका मकसद हिंदुओं के बीच जाति विभाजन को खत्म करना है। आरएसएस के स्वयंसेवकों और 65 से ज्यादा गैर सरकारी संगठन इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए बैठकें आयोजित कर रहे हैं।

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