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बलबीर सिंह एवं हरमीत सिंह ने पंजाब चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद टिकैत ने चुनाव को लेकर ये किया ऐलान

किसान नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल एवं हरमीत सिंह कादियान के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यह पंजाब के किसान नेताओं का निजी फैसला है।

कृषि कानूनों की वापसी के बाद एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा में किसान आंदोलन को खत्म करने को लेकर मंथन जारी है, वहीं पंजाब के कुछ किसान नेता मोर्चा बना कर विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी भी कर रहे हैं।  मीड़िया रिपोर्टस के अनुसार इस बात का खुलासा खुद किसान सभा के नेता कुलवंत सिंह संधू ने किया।
 किसान नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल एवं हरमीत सिंह कादियान के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यह पंजाब के किसान नेताओं का निजी फैसला है, जिससे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का कोई लेना-देना नहीं है और वह पंजाब में चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं के लिए प्रचार करने नहीं जाएंगे। पंजाब के 22 किसान संगठनों ने शनिवार को एक राजनीतिक मोर्चा बनाया और घोषणा की कि वे ‘‘राजनीतिक बदलाव’’ के लिए आगामी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। ये 22 किसान संगठन पंजाब के उन 32 किसान संगठनों में से हैं, जिन्होंने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक चले विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
हालांकि, कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने स्पष्ट किया है कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है। किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने कहा था कि पंजाब में अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए संयुक्त समाज मोर्चा का गठन किया गया है और भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के बलबीर सिंह राजेवाल संयुक्त समाज मोर्चा के नेता होंगे।
राकेश टिकैत ने  प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भाकियू के चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर तो कुछ स्पष्ट नहीं कहा, लेकिन ;यह जरूर कहा कि ‘‘वह ना तो कोई चुनाव लड़ेंगे और ना ही पार्टी बनाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि उनके परिवार से भी कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ेगा। जब टिकैत से पूछा गया कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में भाकियू का रुख क्या रहेगा, तो उन्होंने कहा कि वह आचार संहिता लागू होने के बाद ही आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने जुलाई में मुजफ्फरनगर के सिसौली में कथित तौर पर कहा था, ‘‘सभी राजनीतिक दलों को देख लिया। जब इनकी सरकार आती है, तो ये किसानों की नहीं सुनते, इसलिए आगामी विधानसभा चुनावों में भाकियू अपने उम्मीदवार उतारेगी। किसान प्रत्याशियों को टिकट दिए जाएंगे।’’ समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल में एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान राकेश टिकैत को आगामी विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ने का निमंत्रण दिया था, लेकिन भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इसे ठुकरा दिया था।
गौरतलब है कि मेरठ में अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ राकेश टिकैत का पोस्टर लगाया गया था, जिसे भाकियू के विरोध के कारण बाद में हटा दिया गया। राकेश टिकैत ने 2007 में भारतीय किसान दल से खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे। उन्होंने 2014 में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के टिकट पर अमरोहा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां भी उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
 

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