लुधियाना-मुल्लांपुर : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर इलाके में बुधवार को आई.टी.बी.पी के जवानों की आपसी मुठभेड़ के दौरान एक जवान की अंधाधुंध फायरिंग के कारण अपने 5 साथियों को मार दिए जाने की खबर के बीच लुधियाना के मुल्लापुर इलाके में स्थित गांव जंगपुर में शोक सी लहर है। उपरोकत वारदात में इसी गांव का 42 वर्षीय दलजीत सिंह सुपुत्र महरूम सूबेदार गुरदेव सिंह भी शामिल था, जो एक माह पहले ही गांव से छुटटी काटकर डयूटी के लिए छत्तीसगढ़ गया था।
हालांकि आई.टी.बी.पी के 45वी बटालियन में मौका-ए-वारदात के दौरान अंधाधुंध फायरिंग के बाद कातिल जवान ने स्वयं को गोली मारकर जीवन लीला खत्म कर ली लेकिन बेकसूर शहादत का जाम पीने वाले सिपाहियों के परिवारों की दशा दयनीय है। दलजीत सिंह के परिवार को उसकी अगली छुट्टियों का इंतजार था, लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत का समाचार परिवार के साथ पूरे गांव को स्तब्ध कर गया।
बुधवार दोपहर तक परिवार को उसकी मौत संबंधी कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन जब मीडिया की टीमों ने पीडि़त परिवार के घर पहुंचना शुरू किया तो बेखबर बैठे सदस्यों के होश उड़ गए। दलजीत का बड़ा भाई मनजीत सिंह भी फौज में है, जो इन दिनों छुट्टी पर आया हुआ है। घर में वो और उसकी पत्नी मौजूद थीं।
दलजीत के बड़े भाई मनजीत सिंह इन दिनों असम में तैनात हैं। अपने छोटे भाई की बेवक्त मौत के बाद दुखी मन से मनजीत सिंह ने कहा कि बहुत अच्छा होता अगर उसका भाई दुश्मन की गोली से शहादत का जाम पीता। लेकिन अफसोस है, उसके नजदीकी साथी ने ही उसे साथियों के संग भून डाला, जो बेहद दुखद है। उसने रूद्र भरे मन से कहा कि लगता है कि आजके बाद उनके खानदान का सदस्य या वारिस देशसेवा के लिए सेना में भर्ती नहीं होगा।
मृतक जवान की पत्नी हरप्रीत कौर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में असिस्टेंट लाइब्रेरियन हैं। भाई की मौत का पता चलते ही मनजीत सिंह उन्हें लेने के लिए पीएयू चला गया। कुछ ही पल में यह खबर पूरे इलाके में जंगल की आग की तरह फैल गई। गांव में पीड़ति परिवार के साथ हमदर्दी जताने वालों का तांता लगा रहा।
मृतक दलजीत सिंह की बेटी जैसमीन कौर (12) पांचवी कक्षा और बेटा बरिंदरजीत सिंह (9) है। दोनों ही जगराओं स्थित सेक्रेड हार्ट स्कूल में पढ़ते हैं। मौत से ठीक एक दिन पहले दलजीत सिंह ने अपने घर फोन करके परिवार के साथ बात की थी। उस दौरान उसके बेटे बरिंदरजीत सिंह और बेटी जैसमीन कौर ने उससे मोबाइल फोन लेकर देने की मांग की थी। दलजीत ने वादा किया था कि अगली बार वो छुट्टी पर घर आएगा तो उन्हें फोन जरूर लेकर देगा। उसकी बात से बच्चे बेहद खुश थे। दलजीत की दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है।
पिता गुरदेव सिंह भी आइटीबीपी में जवान थे। 1999 में ड्यूटी करते समय वो गंभीर रूप से बीमार हो गए। इलाज के लिए उन्हें डीएमसी लुधियाना में भर्ती कराया गया, लेकिन उनका देहांत हो गया। पिता की मौत के बाद 2003 में दलजीत सिंह को आईटीबीपी में नौकरी मिली थी। बहरहाल परिवारिक सदस्यों को इंतजार है कि वे दलजीत सिंह की मृतक देह का, ताकि अपने हाथों उनके आखिरी दर्शन करके अंतिम संस्कार कर सकें।
– सुनीलराय कामरेड