लुधियाना-अमृतसर : तेजी से बढ़ते कोरोना के खोफ के दौरान आज जहां अपने संगे-संबंधी अंतिम रस्मों के लिए साथ छोड़े जा रहे है वही बेगानों ने आगे बढक़र मानवीय संवेदनाओं को उजागर करते हुए साथ दिया है। ऐसे ही 2 मामले उस वक्त उजागर हुए जब औद्योगिक नगर लुधियाना में कोरोना से पीडि़त महिला के संस्कार के वकत रात के अंधेरे में ही दूर से उसके अपनों ने ही हाथ जोडक़र श्रद्धाुंजलि दी तो गुरू की नगरी अमृतसर में भी पूर्व एडीशनल कमीश्रर जसविंद्र सिंह की मौत के बाद मृतक देह लेने से परिवारिक वारिसों ने स्पष्ट इंकार कर दिया। बीते दिनों एक निजी अस्पताल में कोविड-19 की बीमारी के चलते जसविंद्र ङ्क्षसह की मौत हो गई थी। डिप्टी कमीश्रर स. शिवदुलार सिंह ढिल्लों की हिदायतों के उपरांत एसडीएम विकास हीर और तहसीलदार श्रीमती अर्चना समेत एसीपी जसप्रीत सिंह ने आगे बढक़र बाबा शहीदा शमशान घाट में धार्मिक रस्मों के साथ जसविंद्र सिंह का आज अंतिम संस्कार करवाया। इसी दौरान इलाका पटवारियों और म्यूनिसिपल कमेटी के कर्मचारियों ने अर्थी को कंधा देकर समस्त रस्में निभाई।
इधर लुधियाना में भी कोरोना के कारण दुनियावी रिश्तों में दूरियां स्पष्ट दिखाई दी। कोरोना पीडि़त शिमला पुरी की रहने वाली महिला की मौत के बाद परिवारिक सदस्यों ने कोरोना से संक्रमित होने के डर से कार में ही बैठे-बैठे अंतिम संस्कार दूर से ही देखा। हालांकि बाहर संस्कार की समस्त प्रक्रिया निभाने में प्रशासनिक अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई। घटना से आहत एडीसी इकबाल सिंह संधू ने एक विडियो के जरिए अपनी भावनाओं को उजागर करते कहा कि उन्हें आज बहुत दुख है कि जिस मां ने अपने बच्चों को जन्म देकर भारी मुसीबतों में पाला-पोसा, वही बच्चे दूर से ही अपनी मां को कार में बैठे श्रद्धांजलि देते दिखे। लुधियाना के पब्लिक रिलेशन अधिकारी प्रभदीप सिंह नत्थोवाल ने बताया कि मृतका के परिवारिक सदस्यों को जब सूचना दी गई तो उन्होंने शव लेने से ही इंकार किया, जिस पर इलाका तहसीलदार जगसीर सिंह और एडीसी इकबाल सिंह संधू ने अन्यों की सहायता से अंतिम संस्कार किया। अब आत्मिक शांति हेतु अखंड पाठ भी इन अधिकारियों ने अपनी जेेब से गुरूद्वारा बाबा दीप सिंह में करवाने का निर्णय किया है। एडीसी संधू और प्रभजोत सिंह ने कहा कोरोना ने कलयुगी रिश्तों की दरार को उजागर किया है। लेकिन वे अपील करते है कि ऐसे बुरे वक्त में इंसानियत बरकरार रखने के लिए भाईचारे को निभाया जाएं ताकि मानवता बची रह सकें।
– सुनीलराय कामरेड, रीना अरोड़ा