लुधियाना-बठिण्डा : आज के जमाने में जहां रिश्तों की डोर टूटते पता भी नहीं चलती वही बठिण्डा के एक ऐसे सरदार जोड़े की उम्र 100 साल से पार होते हुए 120 साल बुजुर्ग भगवान सिंह की 48 घंटे पहले हुई मौत के बाद उसकी जीवन संगिनी ने अपना पत्नी धर्म निभाते हुए पति के साथ इस दुनिया को अलविदा कह देना बेहतर समझा। दरअसल बठिण्डा के गांव हररंगपुरा में 2 दिन पहले 120 वर्षीय बुजुर्ग भगवान सिंह ने अपनी धर्मपत्नी के साथ पोते-दोतों की मोजूदगी में सौवी वर्षगांठ मनाई थी। बुजुर्ग दंपति ने अपने विवाह की पलैटिनम जुबली के साथ 122 वर्षीय धर्मपत्नी धनकौर के साथ भगवान सिंह ने खूब खुशिया मनाई और चार पीढिय़ों के संग सभी को इकटठा करके जिंदगी के अनुभव बांटे। 2 दिन पहले बुजुर्ग भगवान सिंह की मौत के बाद 122 वर्षीय धनकौर की आज अचानक मौत हो गई। इस बुजुर्ग दंपति की चार बेटियां और एक बेटा है और सबसे बड़ी बेटी की आयु 90 साल है जबकि सबसे छोटे बेटे की आयु 55 साल है।
पारिवारिक सदस्यों के मुताबिक भगवान सिंह की सोमवार की सुबह 4 बजे निधन हुआ तो घर में भीड़ को देखकर बुजुर्ग मां धनकौर ने अंदाजा लगा लिया था कि उसका जीवन साथी इस दुनिया में नहीं है। हालांकि पारिवारिक सदस्यों ने भगवान सिंह की मौत की सूचना इसी कारण नहीं दी कि कहीं बुजुर्ग मां को सदमा ना लगे किंतु अनुभव के आधार पर लोगों की घर में बढ़ती भीड़ को देखते हुए वह स्वयं ही समझ गई कि उसका 100 साल तक साथ निभाने वाला नहीं रहा। उसने दर्द भरे लहजे में बस इतना ही कहा कि अब मैं उनके बिना नही जी सकती।
स्वर्गवासी भगवान सिंह और धनकौर के बेटे नत्था सिंह ने बताया कि उनके पिता को देश के बंटवारे का काफी दर्द था। परंतु वह हमेशा रब्ब आसरे चडढ़ी कला में विचरते थे। पारिवारिक सदस्यों के मुताबिक उनके पिता 100 साल की आयु के बाद खेत-खलिहानों की तरफ निकल जाते थे। उनके बुजुर्गो के आधार कार्ड के मुताबिक भगवान सिंह का जन्म 1 जनवरी 1900 को हुआ था। गांव के लोग उनकी उम्र का रहस्य सादा जीवन और सादा खानपान बताते हुए तारीफें करते नहीं थकते। वे नशे से दूर रहने की हमेशा शिक्षा देते थे और स्वयं ही अपने समस्त कार्यो को प्राथमिकता देते थे। भगवान सिंह की मौत के बाद पूरा इलाका शोकमयी है।
स्मरण रहे कि इस बुजुर्ग दंपति ने अपनी जिंदगी के 100 साल इकटठे बिताकर विश्व रिकार्ड बनाया है। भगवान सिंह की 120 साल की आयु में मौत 5 मार्च 2018 को अचानक हुई और आज 7 मार्च धनकौर भी इस दुनिया को अलविदा कह गए।
– सुनीलराय कामरेड
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