लुधियाना : पंजाब में बिजली दरों पर अकालीयों द्वारा केंद्र के साथ पहले से ही किए गए पावर समझौते के तहत बढ़ौतरी हुई है और इसकी समस्त जिम्मेदारी सिर्फ अकालियों की है, जिसका बोझ लोगों पर पड़ा है। पंजाब राज्य बिजली रेगुलेटरी कमीशन द्वारा हाल ही में बिजली दरों में किये वृद्धि पर राजनीति करने के लिए शिरोमणि अकाली दल की चमड़ी उतारते हुये पंजाब कांग्रेस के प्रधान और गुरदासपुर से लोक सभा मैंबर सुनील जाखड़ ने कहा है कि अकालियों को पंजाब में धरने देने की जगह दिल्ली में धरने लगाने चाहिएं क्योंकि प्रधानमंत्री और अन्य सीनियर भाजपा नेता और बादल पंजाब के लोगों पर बोझ डालनेे के असली दोषी हैं।
शनिवार को पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रधान ने कहा कि बिजली दरों में विस्तार करके लोगों पर बोझ डालनेे के लिए बादलों ने मजबूर किया है जिन्होंने बीजेपी की केंद्र सरकार और पीएसपीसीएल के साथ हर साल राज्य में बिजली दरों में विस्तार करने के लिए तीन पक्षीय सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने कहा कि इस के लिए असली दोषी सुखबीर बादल है जिन्होंने 4 मार्च 2016 को उदय स्कीम अधीन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये है। यह हस्ताक्षर गठजोड के हिस्सेदार और केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूश गोयल की हाजिऱी में किये गए हैं। इसमें भारत सरकार की उज्जवल डिसकाम एशौरेस स्कीम को लागू करने के लिए पंजाब में हर साल बिजली दरें बढ़ाने पर सहमति दी गई है।
उदय सहमति पत्र के अनुसार बादल साल 2016-17 के लिए बिजली दरों में 5 प्रतिशत और साल 2017-18 के लिए 9 प्रतिशत विस्तार करने के लिए सहमत हुए थे। विधानसभा मतदान के मद्देनजऱ राजनैतिक मजबूरियों के कारण बादलों ने पिछले दस सालों के सैशन दौरान बिजली दरों में 77 प्रतिशत विस्तार किया परन्तु विधान सभा मतदान के मद्देनजऱ राजनैतिक मजबूरियों के कारण 2016-17 दौरान कोई विस्तार नहीं किया गया। यहाँ तक इन्होंने इस वित्तीय साल दौरान राजनैतिक खेल खेलते हुए 0.65 प्रतिशत बिजली दरें घटाईं। श्री जाखड़ ने कहा कि यदि शिरोमणी अकाली दल को पंजाब और पंजाब के लोगों की सचमुच ही चिंता है तो उनको लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए और उनको अपने प्रस्तावित धरने बादलें, मोदी और पीयूश गोयल के घरों के बाहर देने चाहिएं जो कि बिजली दरों के इस वृद्धि के असली दोषी हैं। उन्होंने कहा कि पीएसपीआरसी द्वारा हाल ही में बिजली दरों में किया विस्तार उदय सहमति पत्र के अनुसार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वृद्धि के लिए कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह पर दोष लगा कर बादल लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पंजाब को किसी भी तरह कोई लाभ नहीं हुआ उन्होंने कहा कि असल में बादलों ने इस सहमति पत्र पर मोदी के दबाव के कारण हस्ताक्षर किये थे उन्होंने ऐसा इस करके किया था क्योंकि वह अपने विरुद्ध कुछ जांचें खुलने से डरते थे। पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रधान ने कहा कि राज्य में बिजली दरें अधिक होने का एक अन्य कारण यह भी है कि बादल सरकार ने ग़ैर तर्कसंगत उच्च दरों पर निजी थर्मल प्लांटों से बिजली खरीद समझौते करने के लिए गैर तर्कसंगत फ़ैसले लिए।
उन्होंने कहा कि अकाली भाजपा सरकार ने 1980 मैेगावाट तलवंडी साबो थर्मल प्लांट के लिए स्टैरेलाईट के साथ, 1400 मेैगावाट थर्मल प्लांट के लिए एलएंडटी के साथ और 500 मेैगावाट गोइन्दवाल साहिब थर्मल प्लांट के लिए जीवीके के साथ बिजली खरीद समझौते किये और उनकों प्रति यूनिट बिजली के लिए उच्च दरों देने के लिए सहमति जताई। उन्होंने कहा कि डा मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा इसी समय दौरान एक ही सामर्थ्य और प्रौद्यौगिकी वाले देश में लगाऐ दूसरे थर्मल प्लांटों के मुकाबले बादल सरकार ने इन प्लांटों को उच्च दरें निर्धारित करने के लिए सहमति दी। उन्होंने बताया कि पंजाब तलवंडी के लिए 1.35 रुपए प्रति यूनिट, राजपुरा के लिए 1.50 रुपए प्रति यूनिट और गोइन्दवाल साहब थर्मल प्लांट के लिए 1.93 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब के साथ दरों का भुगतान निर्धारित किया। मुंदरा थर्मल प्लांट में बिजली दरें सिफऱ् 90 पैसे प्रति यूनिट और सासन थर्मल प्लांट में 17 पैसे प्रति यूनिट हैं। उन्होंने कहा कि इन अंाकड़ो की पुष्टि पीएसपीआरसी द्वारा हाल ही में 2017-18 के लिए बढ़ाईं बिजली दरों के आर्डर में पेज नं 185, लड़ी नं 55, पेज नं 186, लड़ी नं 56, 58, 59 और 60 से की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि साल 2017-18 के लिए पीएसपीआरसी बिजली दरों के हुक्म पेजा नं 185-186 के अनुसार पंजाब तलवंडी थर्मल प्लांट से 3293 करोड़ की लागत के साथ 6095 एम यू की खरीद करेगा जो 5.40 रुपए प्रति यूनिट होगी। इसी तरह गोइन्दवाल साहब से 1064 करोड़ रुपए से 1223 एम यू बिजली के लिए जायेगी जो 8.70 प्रति रुपए यूनिट होगी इसी तरह ही राजपुरा थर्मल प्लांट से 3302 करोड़ रुपए से 8694 एम यू बिजली 3.80 पैसे प्रति यूनिट पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इस के मुकाबले सासन की 4724 एम यू बिजली 1.32 रुपए प्रति यूनिट और मूंदरां की 3162 ऐम यू 2.20 रुपए प्रति यूनिट है। उन्होंने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार और नवीनीकरण योग्य ऊर्जा और पेडा के मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, बिजली मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने सौर ऊर्जा और बायोगैस शक्ति प्लांटों के साथ भी उच्च दरें पर बिजली खरीदने का समझौता किया। पीऐसपीआरसी बिजली दरों के आर्डर पेजा नं 185 का जि़क्र करते हुए जाखड़ ने कहा कि साल 2017-18 के लिए पंजाब 1712 ऐम यू सौर ऊर्जा के लिए 1010 करोड़ रुपए का भुगतान करेगा और यह बिजली 5.90 रुपए प्रति यूनिट पड़ेगी।
इसी तरह ही ग़ैर सौर ऊर्जा बायोगैस आदि की 1459 ऐमयू बिजली 776 करोड़ रुपए में खऱीदी जायेगी जो 5.32 रुपए प्रति यूनिट पड़ेगी। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस के प्रधान ने कहा कि इन निजी खरीद समझौतों का कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा जायज़ा लिया जा रहा है और आगामी महीनों दौरान बिजली दरों को तर्कसंगत बनाने की सभी कोशिशें की जाएंगी। उन्होंने कहा कि बादल सरकार पंछवाड़ा के पास माइन को कार्यशील करने के लिए असफल रही यह माइन झारखंड में अलाट की गई थी इसी कारण ही पंजाब में बिजली दरों की ज़्यादा कीमत हुई। उन्होंने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार पंछवाड़ा के पास माइन से सस्ता कोयला प्राप्त करने के लिए नाकाम रही जो कि अप्रैल 2015 दौरान अलाट की गई थी। इसके कारण अधिक लागत वाला कोयला खऱीदना पड़ा और निजी थर्मल प्लांटों और अन्य निजी उद्दमियोंं से अधिक लागत की बिजली के लिए गई। उन्होंने कहा कि अगर अकाली-भाजपा सरकार अलाट की कोयले की खादानों में से कोयला निकालना शुरू कर देती तो यह बिजली बहुत सस्ती पडऩी थी और यह कोयला कोल इंडिया से सस्ते भाव में प्राप्त होना था।
इसी कारण बिजली उत्पादन की लागत भी घटनी थी उन्होंने कहा कि इसी कारण राज्य को हर साल 400 से 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। श्री जाखड़ ने दोष लगाया कि बादलों ने अडानियों के हितों के लिए कोयले की यह खादान शुरू नहीं की। उनकी कंपनी उच्च दरों पर कोयला खऱीदती था जिस के कारण सरकारी खजाने पर हज़ार करोड़ो का भार पड़ा। उन्होंने कहा कि अकालियों ने भाजपा के साथ मिल कर राज्य के लोगों को लूटा और इसको दिवालिया बनाया। इसके कारण बादलों कीे जेब में करोड़ों रुपए जाने की संभावना से भी इन्नकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि एक दशक के लंबे बादल सरकार के शासन दौरान बिजली मंत्री पूरी शक्तिशाली थे जिन्होंने केडी चौधरी को 7 साल पीएसपीसीएल के चेयरमैन नियुक्त किए रखा। उन्होंने दोष लगाया कि बादलों के ल_मार के तौर पर भूमिका निभाई और बिजली के क्षेत्र में पंजाब को बड़ा नुकसान पहुंचाया। जाखड़ ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 2002- 07 तक के शासन के दौरान 22.51 प्रतिशत विस्तार हुआ जो प्रति साल औसतन 4.5 प्रतिशत था।
इसके विपरीत शिरोमणि अकाली दल भाजपा के 10 साल के शासन दौरान 77.33 प्रतिशत विस्तार हुआ जो औसतन प्रति साल 7.73 प्रतिशत बनता है। मजीठिया विरुद्ध कार्यवाही शुरू करने की कुछ कांग्रेसी विधायकों की मांग संबंधी पूछे गए सवाल के जवाब में जाखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि वह सबूतों से बिना कोई कार्यवाही नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मजीठीया विरुद्ध दोष हैं परन्तु इस के लिए अदालत में सबूत चाहिएं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जल्दी में कोई कार्यवाही नहीं करेगी और 2002 वाली गलती नहीं दोहराएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सोच पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि इन लोगों ने पंजाब को तबाह कर कर रख दिया है। कोलियांवाली के मामलो में गलत ब्यान देने और पुलिस के जांच को प्रभावित करने के लिए दख़ल अन्दाज़ी न करने की बादल को सलाह देते हुए जाखड़ ने कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फ़ैसले का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रशासन के स्पष्टीकरण न करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि पंजाब के इतिहास में इस तरह की बातें कभी भी नहीं घटीं।
– सुनीलराय कामरेड