लुधियाना : आज पूरे देश में कारगिल विजय दिवस मनाया गया तो इसी क्रम में पंजाब के अलग-अलग स्थानों से शहीद सैनिकों की याद में रखे गए कार्यक्रम में शहीदों को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ याद किया गया। इसी दौरान महानगर लुधियाना में भी वर्ष 1999 में भारतीय सेना की पड़ोसी मुलक पाकिस्तान पर हुई इतिहासिक जीत को याद करते हुए पंजाब सरकार की तरफ से श्रद्धांजलि समागम स्थानीय महाराजा रंजीत सिंह वार म्यूजियम में आयोजित किया गया, जिसमें शहीदों की वीर नारियों और युद्ध के दौरान शारीरिक तौर पर असमर्थ हो चुके सैनिकों को भी सम्मानित किया गया।
इसी समागम में मुख्य मेहमान के तौर पर स्थानीय ढोलेवाल मिल्ट्री कैम्पस के कमांडेट बिग्रेडियर मुनीश अरोड़ा ने हिससा लिया। ब्रिगेडियर अरोड़ा ने संबोधित करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की इतिहासिक जीत में भारतीय सेना के प्रत्येक अधिकारी, सैनिक और अन्य तैनात कर्मियों के संयुक्त यत्नों का अहम योगदान था और इस योगदान को भारत के लोग कभी भूल नहीं सकते। उन्होंने शहीद और असमर्थ हुए सैनिकों के परिवारिक वारिसों को भरोसा दिया कि भारतीय सेना द्वारा उन्हें हर संभव सहायता दी जाएंगी।
उन्होंने स्कूल प्रबंधकों को भी अपील की कि वे अपने स्कूलों के शिक्षा टूर पर द्रास (कारगिल ) स्थित विजय स्थल को भी शामिल करें। उन्होंने कहा कि इस पावन स्थल का टूर आयोजित करके विद्यार्थियों को भारत और भारतीय सेना के गौरवमयी इतिहास के बारे में बहुमूल्य जानकारी देनी होंगी। ताकि विद्यार्थियों में भारतीय सेना के साथ जुडऩे के लिए उत्साह पैदा हो। समागम में अन्य के अलावा लुधियाना (पश्चिमी) के एसडीएम स. अमरेंद्र सिंह मल्ल ने भी संबोधित किया, तत्पश्चात मेजर उप्पल और विंग कमांडर गुरप्रीत सिंह मांगट ने इस युद्ध में थल और हवाई सेना द्वारा डाले गए योगदान का ब्यौरा दिया।
कर्नल एचएस काहलो (वीरचक्र) ने पंजाब सरकार द्वारा सैनिकों की भलाई के लिए किए जा रहे उपायों और सूबा सरकार द्वारा शुरू की गई गार्डियनस आफ गर्वनस योजना का भी उल्लेख किया। इस दौरान पंजाब सरकार की तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। आज से 20 साल पहले जम्मू-कश्मीर में पड़ोसी मुलक पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए छंदम युद्ध -कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन को खदेडऩे में मुख्य भूमिका निभाने वाले पूर्व फौजी सतपाल सिंह इन दिनों भवानीगढ़ में वरिष्ठ कांस्टेबल के रूप में ट्रैफिक व्यवस्था को संभाल रहे हैं। सतपाल सिंह वीर चक्र से सम्मानित हैं।
सतपाल सिंह ऑपरेशन विजय के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात थे। वह भारतीय सेना को टाइगर हिल पर कब्जा करने में मदद करने वाली टीम का हिस्सा थे। उन्होंने टाइगर हिल पर पाकिस्तानी सेना के हमलों का मुकाबला करते पाकिस्तान की नॉर्दन लाइट इन्फैंट्री के कैप्टन शेर खान और अन्य तीन को मार गिराया था। इसके बाद शेर खान को पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया था। सतपाल सिंह को भारत में वीर चक्र से सम्मानित किया गया। फौज से रिटायर होने के बाद वह संगरूर के भवानीगढ़ चौराहे पर बतौर हेडकांस्बेटल ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं। सतपाल सिंह फौज से रिटायर होने के बाद वर्ष 2010 में पंजाब पुलिस में भर्ती हुए थे।
कैप्टन ने कारगिल जंग के नायक को तरक्की का तोहफा देकर बनाया एएसआई
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने आज कारगिल विजय दिवस जंग के अवसर पर जंग के एक नायक को सरकारी नौकरी में डबल तरक्की का तोहफा देते हुए एएसआई बनाने का आदेश दिया है। इस बाबत पंजाब के सीएम ने आज टिवटर के जरिए जानकारी देते हुए लिखा कि कारगिल जंग के नायक और वीरचक्र अवार्ड से सम्मानित सतपाल सिंह को तरक्की देते हुए सीनियर कांस्टेबल से एएसआई बना दिया गया है।
वह इसका हकदार है और जिसको पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने उनकी 2010 में भर्ती के दौरान बनता हक नहीं दिया। वह अपने बहादुर सिपाहियों के लिए कम से कम इतना तो कर सकते है। वही आज कारगिल दिवस की 20वी वर्षगांठ के अवसर मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने वार मेमारियल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी।